बारिश के बाद नक्सलियों के खिलाफ संयुक्त ऑपरेशन की तैयारी तेज की जाएगी। इसी रणनीति को तय करने के लिए शुक्रवार को नया रायपुर के निजी रिसॉर्ट में अहम बैठक आयोजित की गई है। यह बैठक शुक्रवार की सुबह 9.30 बजे शुरू हुई है।
इसमें छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, ओडिशा और तेलंगाना के डीजीपी, केंद्रीय सुरक्षा बलों के अधिकारी, इंटेलिजेंस एजेंसियों के प्रतिनिधि और नक्सल ऑप्स से जुड़े आलाधिकारी शामिल हुए हैं। बैठक को लीड केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन और आईबी चीफ तपन कुमार डेका कर रहे है।
31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद का होगा खात्मा
इस बैठक में वामपंथी उग्रवाद प्रभाग (LWE) के तहत उन बिंदुओं पर खास तौर पर मंथन हो रहा है। जिनके जरिए नक्सलियों पर निर्णायक प्रहार किया जा सके। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद के खात्मे का फैसला लिया है। इसलिए सुरक्षा एजेंसियों पर दबाव और जिम्मेदारी दोनों बढ़ गई है।
सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में ऑपरेशन को और आक्रामक बनाने, सीमावर्ती राज्यों में नक्सलियों की घेरेबंदी और खुफिया सूचनाओं के आदान-प्रदान को लेकर ठोस निर्णय लिए जाएंगे।
चार राज्यों के DGP सहित शीर्ष अधिकारी मौजूद
जानकारी के अनुसार, इस समय छत्तीसगढ़-ओडिशा, छत्तीसगढ़-तेलंगाना और मध्यप्रदेश के बालाघाट से लगे सीमावर्ती इलाकों में नक्सलियों की गतिविधियां बढ़ी हैं। ऐसे में संयुक्त फोर्स की कार्रवाई और भी चुनौतीपूर्ण हो गई है। बैठक में CRPF, BSF, ITBP के शीर्ष अधिकारी, IB, NIA के निदेशक और राज्यों के गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद हैं।
ऑपरेशन को बनाया जाएगा इंटेलिजेंस बेस
अधिकारियों के अनुसार नक्सलियों के खिलाफ चलाए जाने वाले ऑपरेशनों को पूरी तरह इंटेलिजेंस बेस्ड बनाने पर जोर दिया जा रहा है। आईबी की खुफिया रिपोर्ट्स के आधार पर फोर्स को मूव किया जाएगा, ताकि जंगलों और सीमावर्ती क्षेत्रों में छिपे नक्सलियों पर प्रभावी कार्रवाई हो सके।
इसके अलावा, नक्सल प्रभावित राज्यों के बीच बेहतर समन्वय और समय पर सूचनाओं के आदान-प्रदान की प्रणाली विकसित करने पर भी गहन चर्चा हो रही है। अधिकारियों का मानना है कि यदि यह तंत्र मजबूत हो जाए, तो नक्सली किसी भी क्षेत्र में सुरक्षित ठिकाना नहीं बना पाएंगे।