राजधानी में सितंबर माह का बिजली बिल आते ही उपभोक्ताओं की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ गया है। करीब साढ़े तीन लाख उपभोक्ता ऐसे हैं जिनका बिल पहले की तुलना में बढ़कर आया है।
बता दें कि रायपुर में लगभग चार लाख उपभोक्ता हैं, जिनमें से अधिकांश की खपत 100 यूनिट से ज्यादा होती है। पहले राज्य सरकार की बिजली बिल हाफ योजना के तहत उपभोक्ताओं को 400 यूनिट तक की खपत पर आधा बिल चुकाना पड़ता था। अगर खपत 400 यूनिट तक भी होती तो उसका भुगतान आधा ही करना पड़ता था और 400 यूनिट से ऊपर जितनी खपत होती थी, उस पर ही पूरा बिल अलग से जुड़ता था।
इस व्यवस्था से शहर के अधिकतर परिवारों को बड़ी राहत मिलती थी। लेकिन अब नियमों में बदलाव कर दिया गया है। नई व्यवस्था के अनुसार, केवल 100 यूनिट तक की खपत करने वाले उपभोक्ताओं को योजना का लाभ मिलेगा।
यानी अगर खपत 101 यूनिट भी होती है तो पूरा बिल चुकाना पड़ेगा। इसका सीधा असर राजधानी के लगभग साढ़े तीन लाख उपभोक्ताओं पर पड़ा है, जिनकी खपत हर माह 100 यूनिट से अधिक होती है। नतीजा यह हुआ कि उनका बिल लगभग दोगुना हो गया है।
लोगों का बिगड़ा बजट
बिजली बिल बढ़ जाने से उपभोक्ताओं में नाराजगी और असंतोष साफ देखा जा रहा है। जिन परिवारों का मासिक खर्च पहले से महंगाई के कारण बढ़ा हुआ था, अब उन्हें बिजली बिल का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि मंहगाई दिनों-दिन बढ़ रही है, लेकिन सैलरी हर साल पांच सौ हजार रुपये बढ़ जाए तो बहुत है।
केस-1: गौरव शर्मा, कमल विहार
कमल विहार निवासी गौरव शर्मा बताते हैं कि पहले उनका मासिक बिजली बिल 300 से 500 रुपये के बीच आता था। गर्मी के मौसम में खपत बढ़ने पर यह बिल 600 से 700 रुपये तक पहुंच जाता था। लेकिन सितंबर माह में बिल दोगुना आया है। उन्हाेंने बताया कि इस बार 146 यूनिट खपत पर 770 रुपये का बिल आया है। जबकि इसके पहले 198 यूनिट की खपत पर उनका बिल केवल 509 रुपये आया था।
केस-2: कुलेश्वरी बघेल, तात्यापारा
तात्यापारा की कुलेश्वरी बघेल ने बताया कि पहले उनका मासिक बिल 600 से 700 रुपये आता था। लेकिन इस बार योजना का लाभ बंद होने से उनका बिल लगभग एक हजार रुपये से अधिक आया है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर शहर के बहुत कम उपभोक्ता ही ऐसे हैं जिनकी खपत 100 यूनिट तक सीमित रहती है। अधिकतर परिवारों की खपत 150 से 300 यूनिट के बीच होती है, इसलिए नई व्यवस्था ने लोगों का बजट बिगाड़ा है।
100 यूनिट से ऊपर का लेना था पूरा पैसा
शहर के नागरिकों का कहना है कि सरकार के फैसले से उनकी छूट शून्य हो गई है। कम से कम 100 यूनिट तक हर उपभोक्ता को छूट दी जानी थी। उससे ऊपर जो खपत होती उस पर पूरा पैसा लिया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया है। नए नियम से योजना सिर्फ 100 यूनिट या उससे कम की खपत तक ही सीमित रह गई है।