दमोह : बच्चों से बच्चों की तरह पेश आना, उनके साथ खेलना, लंच करना और पढ़ाई को मनोरंजक बनाना—यही कला प्राथमिक शिक्षिका शीला पटेल की पहचान है.शीलापथरिया ब्लॉक के देवरान टपरिया प्राथमिक शाला में पदस्थ शीला पटेल अपनी नवाचारी शिक्षण शैली से विद्यार्थियों और अभिभावकों के बीच ‘शीला दीदी’ के नाम से लोकप्रिय हैं.
नवाचार से बनाई नई पहचान
शीला पटेल की खासियत है कि वे हर प्रयोग को व्यवहार में उतारती हैं.मौसम या समय की परवाह किए बिना वे अपने अनोखे तरीकों से बच्चों को पढ़ाती हैं.उनकी कक्षा के वीडियो देखकर अधिकारी भी हैरान रह जाते हैं.
राज्य स्तरीय से राष्ट्रीय सम्मान तक
साल 2024 में उन्हें राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान से नवाजा गया था। अब 2025 में शीला पटेल को राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान मिलने जा रहा है.इसके लिए वे दिल्ली रवाना हो चुकी हैं.
बच्चों को बेस्ट बनाने का लक्ष्य
शीला पटेल कहती हैं— “मेरा एक ही लक्ष्य रहता है कि मेरे बच्चे बेस्ट कैसे बनें। कमजोर बच्चे को मजबूत करना, हर बच्चे को बढ़त दिलाना ही मेरा सपना है.बच्चे अपनी इच्छा से स्कूल आएं और पढ़ाई को बोझ न समझें.”
अभिभावकों से भी बनाया कनेक्शन
शीला पटेल सिर्फ बच्चों तक सीमित नहीं रहतीं, बल्कि अभिभावकों को भी जोड़कर एक मजबूत कड़ी बनाती हैं। उनका प्रयास है कि बच्चों में स्वच्छता, देशभक्ति और आपसी सद्भाव के संस्कार पनपें
बच्चे दीदी को छोड़ना नहीं चाहते
पुरस्कार प्रभारी अनिल जैन के अनुसार, शीला पटेल की कक्षा का माहौल अद्भुत होता है.उन्होंने बताया—एक बार एक बच्चे के माता-पिता उसे मजदूरी के लिए दिल्ली ले जाना चाहते थे, लेकिन बच्चे ने साफ कहा मैं दीदी के साथ स्कूल में ही रहूंगा, मजदूरी नहीं करूंगा.” यह उनकी शिक्षण शैली की सबसे बड़ी सफलता है.
दमोह की यह शिक्षिका न सिर्फ शिक्षा जगत में बल्कि समाज में भी प्रेरणा का स्रोत बन चुकी हैं.