डूसू चुनाव से पहले एनएसयूआई में गुटबाजी तेज, कन्हैया के फैसलों पर विवाद

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) चुनाव नजदीक आते ही कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई में गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है। संगठन के अंदर कई फैसलों को लेकर असहमति बढ़ती जा रही है, खासकर उन निर्णयों को लेकर जो पूर्व छात्र नेता और अब कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार की ओर से लिए गए हैं।

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सूत्रों के मुताबिक, उम्मीदवारों के चयन और प्रचार रणनीति को लेकर एनएसयूआई में मतभेद गहरा गया है। कुछ नेताओं का मानना है कि कन्हैया कुमार संगठन को अपने तरीके से चला रहे हैं और स्थानीय नेतृत्व की राय को नजरअंदाज कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर कुछ कार्यकर्ता उनके फैसलों का समर्थन भी कर रहे हैं और इसे संगठन की मजबूती की दिशा में कदम बता रहे हैं।

वरुण चौधरी गुट और अन्य स्थानीय नेताओं का कहना है कि डूसू चुनाव दिल्ली विश्वविद्यालय की राजनीति में अहम माने जाते हैं और इस दौरान स्थानीय समीकरणों को ध्यान में रखकर फैसले लेने चाहिए। उनका आरोप है कि कन्हैया कुमार संगठन को अपने राजनीतिक प्रभाव का विस्तार करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।

विवाद के बावजूद एनएसयूआई ने दावा किया है कि वह डूसू चुनाव में मजबूती से उतरेगी और एबीवीपी तथा अन्य छात्र संगठनों को कड़ी चुनौती देगी। हालांकि अंदरूनी कलह ने उसके कार्यकर्ताओं का ध्यान भटका दिया है।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि डूसू चुनाव हमेशा से राष्ट्रीय राजनीति का आइना माने जाते रहे हैं। यहां छात्र संगठनों की ताकत का सीधा असर बड़े राजनीतिक दलों पर भी पड़ता है। ऐसे में एनएसयूआई के भीतर जारी गुटबाजी कांग्रेस की छात्र राजनीति के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है।

कुल मिलाकर डूसू चुनाव से पहले एनएसयूआई के अंदर बढ़ता विवाद इस ओर इशारा करता है कि संगठन को पहले अपने भीतर एकजुटता लाने की जरूरत है। अगर मतभेद ऐसे ही बने रहे, तो चुनावी मुकाबले में इसका सीधा फायदा विरोधी छात्र संगठनों को मिल सकता है।

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