करवा चौथ भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख त्योहार है, जो विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस साल करवा चौथ का व्रत शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025 को पड़ रहा है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले निर्जला व्रत करती हैं और पूरे दिन पानी और भोजन का त्याग करती हैं।
व्रत के दिन महिलाएं सुहाग की परंपराओं का पालन करते हुए सज-धजकर अपने घर और पूजा स्थल को साफ-सुथरा रखती हैं। सुबह के समय महिलाएं हल्दी और अन्य पारंपरिक विधियों से सज-धज कर पूजा की तैयारी करती हैं। इस दिन का मुख्य आकर्षण चंद्रमा दर्शन है। करवा चौथ का व्रत रात में चंद्रमा को देखकर ही समाप्त होता है।
इस साल चंद्रमा निकलने का समय शाम के लगभग 6 बजकर 45 मिनट है। व्रती महिलाएं चाँद को देखकर पूजा करती हैं और पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलती हैं। इस अवसर पर महिलाएं करवा चौथ की कथा सुनती हैं और पति की लंबी उम्र के लिए विशेष प्रार्थना करती हैं।
व्रत के दिन की पूजा विधि में सबसे पहले महिलाएं गंगाजल से स्नान करके साफ वस्त्र पहनती हैं। इसके बाद व्रत रखने वाली महिला करवा चौथ की थाली सजाती है, जिसमें सिंदूर, चावल, फूल, मिठाई और दीपक शामिल होते हैं। रात में चंद्रमा के दर्शन के समय पति-पत्नी एक-दूसरे के हाथ में हाथ डालकर करवा चौथ की पूजा करते हैं और व्रत तोड़ते हैं।
करवा चौथ का यह पर्व केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास को मजबूत करने का भी अवसर है। महिलाएं इस दिन अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखते हुए पूरी निष्ठा और श्रद्धा के साथ व्रत करती हैं।
इस प्रकार, करवा चौथ 2025 का व्रत 10 अक्टूबर को रखा जाएगा और चंद्रमा दर्शन का शुभ समय शाम 6:45 बजे है। यह दिन पूरे परिवार और समाज में प्रेम, श्रद्धा और पारंपरिक संस्कारों को जीवित रखने का महत्वपूर्ण अवसर है।