नेपाल के आर्मी चीफ जनरल अशोक राज सिग्देल के कार्यालय में हाल ही में एक पोर्ट्रेट नजर आया, जिसमें नेपाल के पहले राजा पृथ्वी नारायण शाह का चित्र prominently रखा गया था। इस पोर्ट्रेट को देखकर कई लोग इसे केवल सजावट नहीं बल्कि किसी खास संदेश के रूप में देख रहे हैं। हाल ही में नेपाल में युवाओं और विभिन्न समूहों द्वारा सरकार और सेना के खिलाफ बढ़ते विरोध को देखते हुए यह कदम चर्चा में आ गया है।
जनरल अशोक राज सिग्देल ने मंगलवार को अपने कार्यालय में मीडिया से मुलाकात की, लेकिन उनका ध्यान इस पोर्ट्रेट पर गया। पृथ्वी नारायण शाह को नेपाल का एकीकरण करने वाला राजा माना जाता है। उनके शासनकाल में नेपाल की राजनीतिक और सामाजिक संरचना मजबूत हुई। इस पोर्ट्रेट की उपस्थिति को कुछ लोग राष्ट्रीय गौरव और सेना की ऐतिहासिक विरासत के प्रतीक के रूप में देख रहे हैं।
हालांकि, सोशल मीडिया पर इसे लेकर बहस भी तेज हो गई है। कुछ लोग मान रहे हैं कि यह कदम सेना की राजनीतिक स्थिति और वर्तमान सरकार के प्रति असंतोष को दर्शा सकता है। वहीं, अन्य लोग इसे केवल परंपरा और सम्मान का प्रतीक बता रहे हैं। नेपाल में हाल ही में युवाओं ने कई विरोध प्रदर्शन किए हैं, जिसमें सरकार और सेना की भूमिका को लेकर सवाल उठाए गए हैं। ऐसे में यह पोर्ट्रेट कई तरह के संदेश देने के रूप में पढ़ा जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के प्रतीक अक्सर किसी राजनीतिक या सामाजिक संदेश को सूक्ष्म तरीके से सामने लाने के लिए इस्तेमाल होते हैं। सेना के अंदर और बाहर इस पर चर्चा जारी है कि क्या यह केवल ऐतिहासिक सम्मान है या फिर इसमें कोई राजनीतिक इशारा भी छिपा हुआ है।
नेपाल के नागरिक और राजनीतिक विश्लेषक इस पोर्ट्रेट को देखकर अलग-अलग राय व्यक्त कर रहे हैं। कुछ इसे नेपाल के गौरव और सेना के ऐतिहासिक योगदान के प्रतीक के रूप में देख रहे हैं, जबकि अन्य इसे वर्तमान राजनीतिक हालात में एक संकेत के रूप में पढ़ रहे हैं।
इस घटना ने नेपाल की राजनीति और सेना की छवि पर बहस छेड़ दी है। जनता और विशेषज्ञ यह जानने को उत्सुक हैं कि भविष्य में इस पोर्ट्रेट के माध्यम से क्या संदेश देने का प्रयास किया जा रहा है। नेपाल में यह विषय तेजी से चर्चा में बना हुआ है और लोगों की नजरें सेना और सरकार के हर कदम पर टिकी हैं।