नई दिल्ली से ग्वालियर होते हुए भोपाल के रानी कमलापति स्टेशन तक चलने वाली शताब्दी एक्सप्रेस में अब नए स्वचालित दरवाजे लगाए गए हैं। इस नई व्यवस्था का उद्देश्य यात्रियों के लिए सफर को सुरक्षित बनाना और हादसों की संभावना को कम करना है। दरवाजों को इमरजेंसी बटन और वैक्यूम लॉकिंग सिस्टम से जोड़ा गया है। ट्रेन की गति पकड़ते ही ये दरवाजे अपने आप बंद हो जाएंगे और केवल जब ट्रेन किसी स्टेशन पर रुकेगी या प्लेटफॉर्म पर पहुंचेगी, तभी दरवाजे खुलेंगे।
पहले यात्रियों की भीड़ के कारण स्टेशन पर जल्दी उतरने की कोशिश में कई बार हादसे हो जाते थे। अब नए सिस्टम से यह खतरा काफी हद तक कम हो जाएगा। यह प्रणाली पहले से ही हजरत निजामुद्दीन से ग्वालियर होते हुए वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी तक चलने वाली गतिमान एक्सप्रेस में सफलतापूर्वक लागू है। चूंकि दोनों ट्रेनें एक जैसे रैक के साथ संचालित होती हैं, इसलिए शताब्दी एक्सप्रेस को भी इस सिस्टम में शामिल किया गया।
लोको पायलट और गार्ड के पास दरवाजों का पूर्ण नियंत्रण रहेगा। ट्रेन जब किसी स्टेशन पर पहुंचेगी तो केवल प्लेटफॉर्म की दिशा के दरवाजे ही खुलेंगे। दूसरी दिशा के दरवाजों को बिना लोको पायलट की अनुमति के नहीं खोला जा सकता। इससे अनावश्यक प्रवेश और दुर्घटनाओं की संभावना कम होगी।
इसके अलावा शताब्दी एक्सप्रेस के बेस किचन का स्थान बदल दिया गया है। पहले ग्वालियर में स्थित बेस किचन से खाना ट्रेन में भेजा जाता था, जिससे यात्रियों को झांसी स्टेशन पार करने के बाद लगभग साढ़े 11 बजे खाना परोसा जाता था। अब बेस किचन को झांसी में शिफ्ट कर दिया गया है। इससे यात्रियों को ललितपुर स्टेशन पार करने के बाद लगभग साढ़े 12 बजे भोजन मिलेगा। भोपाल से वापसी में ग्वालियर स्टेशन पार करने के बाद खाना परोसना शुरू होगा।
रेल मंडल झांसी के अधिकारियों का कहना है कि नए स्वचालित दरवाजे और बेस किचन की शिफ्ट से शताब्दी एक्सप्रेस का सफर अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक बन गया है। यात्रियों को अब पहले जैसी भीड़ और हादसों का खतरा नहीं रहेगा। यह बदलाव लक्जरी ट्रेन सेवा को और बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।