बलरामपुर में चरमराई व्यवस्था: भ्रष्टाचार और लापरवाही ने बिगाड़ा हाल, एसीबी की कार्यवाही

बलरामपुर: जिले में बीते दिनों घटी घटनाओं ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है, भ्रष्टाचार, लापरवाही और अफसरशाही के चलते आम नागरिक परेशान हैं और शासन-प्रशासन की जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं.

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जिले में एसीबी की लगातार कार्रवाई भ्रष्टाचार के गहरे पैठे होने की गवाही देती है. हाल के मामलों में अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ रिश्वतखोरी व अनियमितताओं के आरोप साबित हुए, जिससे प्रशासन की छवि धूमिल हुई है. शिक्षा विभाग की प्राथमिक जिम्मेदारी पढ़ाई-लिखाई को सुदृढ़ करना है, लेकिन हालात ऐसे हैं कि शिक्षकों को जर्जर सड़कों के निर्माण में लगना पड़ रहा है. इससे विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं. शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है और छात्र-छात्राओं का भविष्य दांव पर लग रहा है.

राशन घोटाला और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही
गरीबों के लिए शासकीय दुकानों से जारी होने वाला राशन निजी गोदामों में पाया गया. यह गंभीर अनियमितता प्रशासनिक तंत्र पर प्रश्नचिह्न है. वहीं स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से हाल ही में मौत हो चुकी है. समय पर इलाज और उचित निगरानी न मिलने के कारण आमजन का विश्वास स्वास्थ्य व्यवस्था से उठता जा रहा है.

जिले में जर्जर बांध टूटने से बड़ी संख्या में ग्रामीणों की जानें गईं. इस हादसे ने विकास कार्यों की गुणवत्ता और निगरानी व्यवस्था की पोल खोल दी. लोगों का कहना है कि समय रहते प्रशासन ने ध्यान दिया होता तो इतनी बड़ी जनहानि टाली जा सकती थी. स्थिति तो यह तक आ गई है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री को ऐसे मामलों पर टिप्पणी करनी पड़ रही है.
कलेक्टर निवास से मात्र 20 मीटर की दूरी पर स्थित छात्रावास भी उपेक्षा का शिकार है. अधीक्षक ड्यूटी से नदारत रहते हैं और छात्र भगवान भरोसे जीने को मजबूर हैं. यह स्थिति जिले में शिक्षा और छात्र कल्याण योजनाओं की हकीकत उजागर करती है.

शासकीय संसाधनों का दुरुपयोग
अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए शासकीय गाड़ियां और डीजल निजी कार्यों के साधन बन गए हैं. सरकारी पैसों का जमकर दुरुपयोग हो रहा है. हालात यह हैं कि बलरामपुर जिला अब अधिकारियों के लिए कार्यस्थल नहीं, बल्कि पिकनिक स्पॉट बन गया है. शाम ढलते ही अधिकांश अधिकारी अंबिकापुर की ओर रवाना हो जाते हैं।स्थानीय लोगों का कहना है कि अफसरशाही इतनी हावी है कि कोई भी जनसमस्याओं पर ध्यान नहीं देता. लगातार घट रही घटनाएं इस ओर इशारा करती हैं कि जिले में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। जनता अब पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन की मांग कर रही है, ताकि आम लोगों को राहत मिल सके.

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