रायपुर के प्रेस क्लब में छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने राजा चक्रधर सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग की। इस मौके पर चक्रधर कत्थक कल्याण केंद्र के संस्थापक और पद्मश्री से सम्मानित भारतीय बंधु ने कहा कि राजा चक्रधर सिंह ने अपना जीवन संगीत, नृत्य और साहित्य को समर्पित कर दिया। उनका योगदान न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश में संस्कृति और कला के क्षेत्र में अमूल्य है।
पद्मश्री सम्मानित कलाकार ने बताया कि राजा चक्रधर सिंह संगीत, नृत्य, गायन और वादन में निपुण थे। उन्होंने न केवल कला को संवारा, बल्कि उस समय के कलाकारों को भी नई दिशा दी। उनके संरक्षण में कई संगीत महाविद्यालय और नृत्य केंद्र स्थापित हुए। 40 वर्षों से राजनांदगांव में उनके नाम पर चल रहे चक्रधर कत्थक कल्याण केंद्र के माध्यम से उनकी विरासत को संजोया जा रहा है।
कृष्णकांत सिन्हा, संस्थापक चक्रधर कत्थक कल्याण केंद्र ने बताया कि राजा चक्रधर सिंह ने संगीत शिक्षण की संस्थागत प्रणाली में नए प्रयोग किए। उनके संरक्षण में संस्कृत, हिंदी, ब्रजभाषा, उर्दू और अंग्रेज़ी में साहित्य और संगीत को बढ़ावा मिला। उनके ग्रंथ और योगदान आज भी संगीत और नृत्य जगत में अमूल्य माने जाते हैं।
कलाकारों ने कहा कि जिस तरह राजस्थान और लखनऊ के नवाबों ने संगीत और कला को बढ़ावा दिया, उसी तरह राजा चक्रधर सिंह ने छत्तीसगढ़ में सांस्कृतिक युग की नींव रखी। उनके योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान देने के लिए भारत रत्न सम्मान देना न्यायोचित होगा।
इस अवसर पर सभी कलाकारों ने सरकार से अपील की कि राजा चक्रधर सिंह के उत्कृष्ट योगदान और कला के क्षेत्र में उनके अद्वितीय योगदान को देखते हुए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जाए। उन्होंने कहा कि यह सम्मान न केवल राजा चक्रधर सिंह की स्मृति को उजागर करेगा, बल्कि युवा पीढ़ी को कला और संस्कृति के महत्व को समझने का अवसर भी देगा।