सूरजपुर: ग्राम पंचायत गौरा में वन विभाग का समाधान शिविर, फसल क्षति, मुआवजे और किसान मित्र वृक्ष योजना पर हुई विस्तृत चर्चा

सूरजपुर: शुक्रवार को ग्राम पंचायत गौरा में वन विभाग द्वारा एक विशेष समाधान शिविर का आयोजन किया गया. यह शिविर पूरी तरह से जंगली हाथियों द्वारा की जाने वाली फसल क्षति और उससे प्रभावित ग्रामीणों की समस्याओं पर केंद्रित रहा. प्रतापपुर वन परिक्षेत्र अधिकारी और उनकी टीम ने इस अवसर पर ग्रामीणों से संवाद स्थापित करते हुए न केवल उनकी शिकायतें सुनीं, बल्कि समाधान की दिशा में आवश्यक सुझाव भी दिए.

ग्राम गौरा और आसपास के क्षेत्रों में बीते कुछ समय से हाथियों की लगातार आवाजाही ने ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है. कई बार हाथियों के झुंड रात के अंधेरे में खेतों को रौंद देते हैं और महीनों की मेहनत पलभर में बर्बाद हो जाती है. ग्रामीणों का कहना है कि न केवल धान और मक्का जैसी प्रमुख फसलें हाथियों के हमले का शिकार हो रही हैं, बल्कि कोठार और घरों तक नुकसान पहुंच रहा है. इस स्थिति ने आजीविका पर गहरा असर डाला है और मुआवजे की प्रक्रिया में आ रही दिक्कतों ने चिंता और बढ़ा दी है.

शिविर में वन परिक्षेत्राधिकारी प्रतापपुर ने ग्रामीणों को शासन द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले विभिन्न प्रकार के मुआवजा प्रावधानों के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि यदि हाथियों या अन्य जंगली जानवरों से किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो शासन द्वारा उसके परिजनों को निर्धारित मुआवजा राशि दी जाती है. इसी तरह पशुहानि, स्थायी अपंगता, व्यक्ति घायल होने की स्थिति और फसल हानि के मामलों में भी अलग-अलग प्रावधान किए गए हैं.

उन्होंने स्पष्ट किया कि अक्सर ग्रामीण आवश्यक दस्तावेज समय पर प्रस्तुत नहीं कर पाते, जिससे मुआवजा प्रक्रिया में विलंब होता है. इसलिए यह जरूरी है कि प्रभावित व्यक्ति जमीन के कागजात, आधार कार्ड और बैंक पासबुक की छायाप्रति 7 दिनों के भीतर अपने स्थानीय वन रक्षक के पास जमा कर दें, ताकि उनका दावा शीघ्रता से स्वीकृत हो सके. अधिकारियों ने भरोसा दिलाया कि सही दस्तावेज मिलने पर मुआवजा प्रकरण का त्वरित निराकरण किया जाएगा.

शिविर में ग्रामीणों को वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की “किसान मित्र वृक्ष योजना” के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई. इस योजना के तहत किसानों को वृक्षारोपण के लिए अनुदान उपलब्ध कराया जाता है. यदि कोई किसान 5 एकड़ तक भूमि पर पौधारोपण करता है तो उसे 100 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा. वहीं 5 एकड़ से अधिक भूमि पर वृक्षारोपण के लिए 50 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान है. इस योजना का उद्देश्य एक ओर पर्यावरण संरक्षण करना है तो दूसरी ओर किसानों को दीर्घकालीन आय के साधन उपलब्ध कराना है.

ग्रामीणों ने भी इस मौके पर अपनी समस्याएं खुलकर रखीं. उन्होंने बताया कि हाथियों का आतंक इतना बढ़ गया है कि कई बार लोग रातभर जागकर अपने खेतों और घरों की रखवाली करने को मजबूर होते हैं. फसल बर्बादी की वजह से आर्थिक संकट गहरा रहा है. कई बार हाथियों के हमलों में लोग घायल भी हो जाते हैं, लेकिन मुआवजा मिलने में महीनों लग जाते हैं.

वन विभाग के अधिकारियों ने ग्रामीणों की बात ध्यानपूर्वक सुनी और कहा कि हाथियों की गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जा रही है. साथ ही उन्होंने ग्रामीणों से अपील की कि वे आपसी सहयोग से मानव-हाथी द्वंद्व से निपटें. इस अवसर पर ग्रामीणों ने भी संकल्प लिया कि वे विभाग का सहयोग करेंगे और अनावश्यक रूप से हाथियों को उकसाने या मारने जैसी गतिविधियों से बचेंगे.

शिविर में वन परिक्षेत्राधिकारी प्रतापपुर के साथ परिक्षेत्र सहायक धरमपुर, परिक्षेत्र सहायक प्रतापपुर, परिसर रक्षक गणेशपुर और परिसर रक्षक बंशीपुर की टीम भी मौजूद रही. इसके अतिरिक्त थाना प्रतापपुर से आरक्षक राजेश परिडा भी कार्यक्रम में शामिल हुए. ग्राम गौरा पंचायत के सरपंच और भारी संख्या में ग्रामीणों की सक्रिय भागीदारी ने शिविर को सार्थक बना दिया.

ग्रामीणों ने उम्मीद जताई कि इस तरह के समाधान शिविर नियमित रूप से आयोजित किए जाएं ताकि उनकी समस्याओं को मौके पर ही सुना और निपटाया जा सके. वन विभाग की ओर से दी गई योजनाओं की जानकारी और मुआवजे की प्रक्रिया को आसान बनाने के आश्वासन ने लोगों में भरोसा जगाया है.

इस शिविर ने यह संदेश भी दिया कि यदि विभाग और ग्रामीण मिलकर कदम उठाएं तो न केवल हाथी आतंक पर नियंत्रण पाया जा सकता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और विकास की दिशा में भी मजबूत पहल की जा सकती है.

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