इटावा: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इटावा के बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) के भेदभावपूर्ण रवैये पर सख्त नाराजगी जताई है. कोर्ट ने कहा कि एक जैसी शिकायत पर दो शिक्षकों के साथ अलग-अलग व्यवहार करना अधिकारियों की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है और यह प्रशासनिक शक्तियों का दुरुपयोग है. अदालत ने बीएसए इटावा को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने शिक्षक प्रबल प्रताप सिंह की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। याची के अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी ने बताया कि प्रबल प्रताप सिंह और ज्योति राव पर सहयोगियों से दुर्व्यवहार करने की शिकायत हुई थी. बीएसए ने प्रबल प्रताप को निलंबित कर जांच शुरू कर दी और आरोप पत्र भी जारी किया, जबकि ज्योति राव को बिना किसी कार्रवाई के बरी कर दिया.
कोर्ट ने रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद पाया कि दोनों शिक्षकों ने अपना-अपना स्पष्टीकरण दिया था। इसके बावजूद बिना कोई ठोस कारण बताए प्रबल प्रताप का स्पष्टीकरण असंतोषजनक मान लिया गया, जबकि ज्योति राव का स्पष्टीकरण स्वीकार कर लिया गया। कोर्ट ने कहा कि यह रवैया न केवल गंभीर चिंता का विषय है, बल्कि जांच प्रक्रिया की शुचिता और निष्पक्षता पर भी सवाल खड़ा करता है. अदालत ने कहा कि ऐसे मामले पहले भी सामने आए हैं, जहां बीएसए ने एक पक्ष पर कठोर कार्रवाई की, लेकिन दूसरे को छोड़ दिया.
हाईकोर्ट ने साफ किया कि इस तरह की भेदभावपूर्ण कार्रवाई प्रशासनिक अधिकारों के दुरुपयोग को दर्शाती है और ऐसे मामलों को गंभीरता से लिया जाएगा.