डीडवाना – कुचामन: जिले के नावां शहर के बीहड़ क्षेत्र में एक निजी कम्पनी द्वारा सोलर प्लांट लगाने के नाम पर बड़े पैमाने पर हरे-भरे पेड़ों की कटाई और किसानों की जमीन तथा आस्था के केंद्र जालेश्वर महादेव मंदिर के मार्ग को अवरुद्ध करने की घटनाओं को लेकर सैकड़ों शहरवासी और काश्तकार शनिवार को उपखंड कार्यालय पहुंचे. जमकर हुई नारेबाजी के बीच ग्रामीणों ने उपखंड अधिकारी के नाम का ज्ञापन तहसीलदार रामेश्वर गढ़वाल को सौंपा और चेतावनी दी कि सोमवार तक कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन शुरू किया जाएगा.
हरे-भरे पेड़ कटने से पर्यावरण संकट की आशंका
ज्ञापन में बताया गया कि बीहड़ इलाके में पिछले कुछ समय में लाखों पेड़ काटे जा चुके हैं, जिनमें सैकड़ों वर्ष पुराने वृक्ष भी शामिल हैं. ये वृक्ष न केवल प्राकृतिक धरोहर रहे, बल्कि हजारों पशु-पक्षियों का आश्रय स्थल भी थे. ग्रामीणों ने कहा कि प्रधानमंत्री की ओर से पर्यावरण संरक्षण के लिए “एक पेड़ मां के नाम” जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं, वहीं प्रशासन की अनदेखी में निजी कम्पनी खुलेआम हरे-भरे पेड़ों की कटाई कर रही है। इससे ऑक्सीजन की कमी, तापमान वृद्धि और भविष्य में गंभीर जल संकट जैसी समस्याएं खड़ी होंगी.
जालेश्वर महादेव मंदिर का मार्ग भी बंद करने की कोशिश
ग्रामीणों ने कहा कि सोलर कम्पनी ने खसरा संख्या 1174 की वन भूमि और खसरा संख्या 1890/1174 का कटाणी मार्ग, जो राजस्थान सरकार की खातेदारी में दर्ज है, पर कब्जा करने का प्रयास किया है. यही मार्ग जालेश्वर महादेव मंदिर तक जाता है, जहां सावन मास और शिवरात्रि पर हजारों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं. मार्ग बंद होने से न केवल धार्मिक आस्था पर कुठाराघात हो रहा है, बल्कि बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों के लिए मंदिर तक पहुंचना कठिन हो गया है.
किसानों की खेती और पशुओं का जीवन प्रभावित
ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि कम्पनी की मनमानी से आसपास के किसानों की कृषि भूमि तक पहुंच बाधित हो गई है, जिससे खेती-किसानी प्रभावित हो रही है. वहीं बीहड़ क्षेत्र की भूमि और वनस्पति पर निर्भर पशु-पक्षियों का जीवन संकट में है. पेड़ों की कटाई से भोजन और आश्रय के अभाव में गायें अब नगर की गलियों में भटकने को मजबूर हो गई हैं.
अधिकारियों पर मिलीभगत के आरोप
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि इस पूरे प्रकरण में कम्पनी को प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है और एनजीटी के आदेशों की खुलेआम अवहेलना हो रही है. पूर्व में भी जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को कई बार ज्ञापन सौंपे गए, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई.
क्षेत्रवासियों की प्रमुख मांगें
ज्ञापन में क्षेत्रवासियों ने मांग रखी कि जितने पेड़ काटे गए हैं, उनके दस गुना नए पेड़ तुरंत लगाए जाएं. निजी कम्पनी और उसमें शामिल अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो. यदि सोलर प्रोजेक्ट आवश्यक है, तो इसे ऐसे क्षेत्र में स्थानांतरित किया जाए, जहां पर्यावरण, गौ-चर, आस्था और जनजीवन प्रभावित न हों.
आंदोलन की चेतावनी
ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा कि यदि सोमवार तक कार्रवाई नहीं हुई तो वे लोकतांत्रिक तरीकों से आंदोलन शुरू करेंगे, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी प्रशासन की होगी. साथ ही यह भी अनुरोध किया कि मामले को डीडवाना-कुचामन जिला कलेक्टर और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा तक पहुँचाया जाए ताकि शीघ्र न्याय मिल सके.