मोबाइल के कारण अलग होने वाला दंपत्ति फिर से एक हुआ

दमोह में परिवार न्यायालय में एक रोचक मामला सामने आया, जिसमें मोबाइल फोन के उपयोग को लेकर विवादित दंपत्ति फिर से मिल गया। ग्राम ग्वारी के देवेंद्र और पथरिया की राखी का विवाह 15 जून 2022 को हुआ था। शादी के बाद से ही राखी ने यह कहना शुरू कर दिया था कि उनकी शादी उनकी मर्जी के बिना हुई। वहीं देवेंद्र का कहना था कि राखी मोबाइल का उपयोग करके घंटों समय व्यर्थ कर देती है। विवाद इतना बढ़ गया कि मामला न्यायालय तक पहुँच गया।

दिसंबर 2024 में राखी अपनी संतान दर्पण को लेकर मायके चली गई और पति के खिलाफ भरण पोषण का मुकदमा दर्ज करा दिया। मामले में दंपत्ति के प्रतिनिधि राजेश पटेल और एडवोकेट सुधा त्रिपाठी ने बताया कि दोनों पक्षों को न्यायालय में मौजूद सुलहकर्ता स्तुति पाठक और प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय मो. अजहर ने समझाईश दी। दोनों पक्षों ने कुछ समय लिया और शनिवार को न्यायालय में सहमति से राजीनामा कर लिया।

राजीनामा के बाद पत्नी राखी ने आगे से मोबाइल का उपयोग न करने की बात भी कही। इससे दोनों के बीच वैवाहिक जीवन में सुधार आने की उम्मीद है। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुभाष सोलंकी और विशेष न्यायाधीश के साथ न्यायाधीश मो. अजहर ने दंपत्ति को पौधा देकर उनके उज्ज्वल वैवाहिक जीवन की शुभकामनाएं दी।

यह मामला नेशनल लोक अदालत के तहत आयोजित त्वरित एवं सुलभ न्याय प्रक्रिया का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य परस्पर समझौते के आधार पर विवादों का शीघ्र समाधान करना है। जिला मुख्यालय दमोह पर आयोजित इस लोक अदालत में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुभाष सोलंकी ने एडीआर भवन में दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया।

इस पहल से यह साबित होता है कि परिवार न्यायालय और लोक अदालत के माध्यम से छोटे-छोटे विवादों को भी बिना लंबी कानूनी प्रक्रिया के सुलझाया जा सकता है। मोबाइल और समय के उपयोग जैसे मामूली विवादों के बावजूद दंपत्ति को पुनः एक साथ लाना सामाजिक और पारिवारिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। न्यायालय की यह मध्यस्थता दोनों पक्षों के लिए राहत और समझौते की दिशा में सकारात्मक साबित हुई है।

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