मध्य प्रदेश के दमोह में एक सरकारी प्राथमिक स्कूल का नाम ‘इस्लामपुरा’ रखने को लेकर विवाद शुरू हो गया है। स्थानीय हिंदू संगठनों ने स्कूल के इस नाम पर आपत्ति जताई है और इसे बदलने की मांग की है। उनका कहना है कि स्कूल का नाम सांप्रदायिक रूप से भेदभाव फैलाने वाला है और इसे बदलकर किसी तटस्थ नाम से जाना जाना चाहिए।
हिंदू संगठन के प्रतिनिधियों ने जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका आरोप है कि इस तरह का नाम बच्चों और अभिभावकों में सांप्रदायिक तनाव पैदा कर सकता है। संगठन ने मीडिया के माध्यम से भी अपनी आपत्ति दर्ज कराई और कहा कि स्कूल का नाम बदलना जरूरी है ताकि सभी समुदायों के बच्चों को समान महसूस हो और किसी प्रकार की असहमति या विवाद की स्थिति न बने।
स्कूल प्रशासन ने फिलहाल विवाद पर शांत रहने का सुझाव दिया है और कहा कि स्कूल का नाम निर्धारित करने में स्थानीय लोगों और अधिकारियों की सलाह ली गई थी। उन्होंने यह भी बताया कि नामकरण के पीछे किसी विशेष समुदाय को बढ़ावा देने का उद्देश्य नहीं था।
जिला प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। अधिकारी इस बात की पुष्टि करेंगे कि स्कूल का नामकरण नियमों और दिशानिर्देशों के अनुरूप हुआ है या नहीं। इसके साथ ही प्रशासन स्थानीय समुदायों के साथ बैठक कर मामले को शांतिपूर्वक हल करने की कोशिश कर रहा है।
वहीं, अभिभावकों ने स्कूल के नाम को बदलने या न बदलने पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ अभिभावक मानते हैं कि नाम बदलने से विवाद टल सकता है, जबकि कुछ का कहना है कि नाम सिर्फ एक पहचान है और बच्चों की शिक्षा पर इसका कोई असर नहीं पड़ना चाहिए।
शिक्षा विभाग ने भी स्पष्ट किया है कि स्कूलों के नामकरण में किसी भी प्रकार की सांप्रदायिक भेदभाव की संभावना नहीं होनी चाहिए और सभी पक्षों की राय लेने के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा। विभाग ने कहा कि इस विवाद को जल्द से जल्द सुलझाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर कदम उठाए जा रहे हैं।
इस मामले ने स्थानीय समाज में चर्चा और बहस को जन्म दिया है और यह देखा जा रहा है कि प्रशासन और समुदाय मिलकर इसे किस तरह शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाते हैं।