राजनांदगांव की जिला जेल में बंदियों के बीच शुक्रवार रात खूनी संघर्ष की घटना सामने आई। 18 वर्षीय युवराज सिंह पर जेल में अन्य बंदियों जिशांत पटेल और रोहण गणवीर ने हमला किया। शुरुआती जानकारी के अनुसार, युवराज सिंह को पहले लात-घूंसे से मारा गया और फिर ग्लास से गले और गाल पर हमला किया गया। घटना के दौरान बीच-बचाव के लिए आए अन्य बंदियों को भी हल्की चोटें आईं।
घटना के बाद जेल में हड़कंप मच गया और सुरक्षा व्यवस्था की पोल खुल गई। गंभीर रूप से घायल युवराज सिंह को रात में ही जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां उसके घावों पर टांके लगे। सूत्रों का कहना है कि घायल अवस्था में युवराज की हालत फिलहाल स्थिर है, लेकिन उसे गंभीर देखभाल की आवश्यकता है।
जानकारी के अनुसार, युवराज सिंह और उसके हमलावरों के बीच पुरानी रंजिश थी। जेल में निरुद्ध होने से पहले भी इनके बीच मारपीट की घटनाएं हो चुकी थीं। इससे यह स्पष्ट होता है कि यह हमला अचानक नहीं हुआ, बल्कि लंबे समय से चले आ रहे विवाद का परिणाम था।
जेल प्रशासन ने मामले को लेकर तुरंत जांच शुरू कर दी है। हालांकि कुछ जिम्मेदार अधिकारी इसे मामूली घटना बता रहे हैं, लेकिन बंदियों के बीच इतनी हिंसा ने सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कुछ दिनों पहले ही जेल प्रशासन ने हिंसा की आशंका के चलते कुछ बंदियों को जिलाबदर करने की कार्रवाई की थी, जिससे यह साबित होता है कि जेल में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ था।
घटना के बाद जेल में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और अधिकारियों ने बंदियों की निगरानी कड़ी कर दी है। जेल प्रशासन ने कहा कि भविष्य में इस प्रकार की हिंसा को रोकने के लिए अतिरिक्त कदम उठाए जाएंगे।
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि यह घटना जेल में बंदियों के बीच अनुशासन और सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा के लिए एक चेतावनी है। जेल के अंदर बंदियों की पुरानी रंजिश, पर्याप्त निगरानी की कमी और आपसी टकराव ने इस खूनी संघर्ष को जन्म दिया। प्रशासन अब इसे गंभीरता से ले रहा है और सभी पहलुओं की गहन जांच की जा रही है।