लोक अदालत में निपटे करोड़ों मामले, जनता को मिली बड़ी राहत

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) ने देशभर में 2025 की तीसरी राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया, जिसमें लाखों लोगों को वर्षों से लंबित मामलों से छुटकारा मिला। शनिवार को 29 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के तालुकों, जिलों और उच्च न्यायालयों में एक साथ हुई इस लोक अदालत में करोड़ों मामले निपटाए गए।

प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, कुल 2,42,55,036 मामलों का निपटारा किया गया। इनमें 2,10,44,809 मुकदमे से पूर्व के मामले और 32,10,227 लंबित मामले शामिल थे। इन मामलों का निपटान मूल्य 7,817.62 करोड़ रुपये से अधिक रहा। यह न केवल अदालतों पर बोझ कम करने वाला कदम साबित हुआ, बल्कि जनता के लिए त्वरित और किफायती न्याय भी लेकर आया।

इस लोक अदालत में विभिन्न प्रकार के विवादों पर सुनवाई हुई। इसमें आपराधिक समझौता योग्य अपराध, दलील सौदेबाजी, राजस्व और बैंक वसूली मामले, मोटर दुर्घटना दावे, चेक बाउंस, श्रम विवाद, रोजगार विवाद, वैवाहिक मामले (तलाक को छोड़कर), भूमि अधिग्रहण संदर्भ, उपभोक्ता मामले, बिजली-पानी बिल से जुड़े विवाद और यातायात चालान जैसे मामलों को शामिल किया गया।

कार्यक्रम का नेतृत्व भारत के मुख्य न्यायाधीश एवं NALSA के मुख्य संरक्षक न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एवं NALSA के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने किया। उनका मानना है कि यह लोक अदालत न केवल विवादों का समाधान है, बल्कि नागरिकों में न्याय प्रणाली के प्रति विश्वास बढ़ाने का भी जरिया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस लोक अदालत ने यह साबित कर दिया कि लंबी कानूनी प्रक्रिया के बजाय आपसी समझौता और संवाद से भी विवादों का निपटारा हो सकता है। नागरिकों को इसमें परिवर्तनकारी राहत मिली है, क्योंकि वर्षों से अटके मामले चंद घंटों में सुलझ गए।

NALSA का लक्ष्य है कि आने वाले समय में लोक अदालत केवल अंतिम उपाय न होकर पहला विकल्प बने। इस प्रयास से न्याय और जनता के बीच की दूरी घटेगी और खासकर कमजोर और हाशिये पर खड़े लोगों को न्याय सुलभ होगा।

लोक अदालत की इस सफलता ने यह संदेश दिया है कि त्वरित, सस्ता और सौहार्दपूर्ण न्याय अब केवल सपना नहीं, बल्कि वास्तविकता बन सकता है।

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