सुल्तानपुर में बिक गया सैकड़ों साल पुराना ‘गुरुद्वारा’…. आरोपियों को बचा रहे अफसर

यूपी के सुल्तानपुर शहर में १७वीं सदी में स्थापित उदासीन पंथ के पुराने गुरुद्वारे के बड़े हिस्से की जमीन कारोबारियों के हाथों बेचे जाने के मामला जांच में सच साबित हो गया है.

जिला प्रशासन के अफसरों ने दस्तावेजों व भौतिक स्थिति की पड़ताल के बाद रिपोर्ट डीएम के समक्ष पेश कर दी है। हैरत की बात है कि जांच में फर्जीवाड़े की पुष्टि के बावजूद एसडीएम सदर ने गुरुद्वारावासियों को ही न्याय के लिये अदालत का दरवाजा खटखटाने की सलाह दे डाली है. इसे सुल्तानपुर खास के विधायक विनोद सिंह ने गंभीरता से लेते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर स्थिति से अवगत कराकर प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है। बता दें कि जनपद सुल्तानपुर में जिला मुख्यालय स्थित लखनऊ नाका क्षेत्र में सैकड़ों वर्ष पुराना उदासीन पंथ का आश्रम व गुरुद्वारा है.

उदासीन पंथ के अनुयायी बताते हैं कि इसे स्वयं गुरु नानकदेव जी महाराज के पुत्र व उत्तराधिकारी श्रीचंद्र जी महाराज ने स्थापित कराया था. उन्होंने यहां प्रवास भी किया था। करीब ६-७ बिस्वा में स्थित इस गुरुद्वारा परिसर में बड़ी संख्या में अनुयायी व पीढ़ियों से किराएदार रहते आ रहे हैं. गत जुलाई-अगस्त माह में इस परिसर के बेशकीमती भूखंड को गुपचुप ढंग से गोलमाल करके कुछ जमीन कारोबारियों समाजवादी पार्टी नगर अध्यक्ष धर्मेंद्र चौधरी राजू ,संतोष चौधरी व आलोकनाथ अग्रहरि आदि द्वारा फर्जी बैनामे करके विक्रय करने का मामला प्रकाश में आया. प्रकरण गरमाया तो डीएम कुमार हर्ष ने जांच कराई तो तहसीलदार की रिपोर्ट में गुरुद्वारे के भूखंडों के बैनामा किये जाने के आरोप सच साबित हुए। यह भी पुष्टि हुई कि सभी रजिस्ट्री बैनामे दानपत्र विलेख, बिल्डर एग्रीमेंट तथ्यों को छुपाकर किये गए. पैमाइश रिपोर्ट ने भी सच को उजागर कर दिया है. हैरत की बात ये है कि सारे तथ्य स्पष्ट होने के बावजूद सदर के उपजिलाधिकारी विपिन द्विवेदी ‘न जाने क्यों’ मामले में सीधा एक्शन लेने से बचते नजर आ रहे हैं या फिर आरोपों की जद में आए फर्जीवाड़े के संदिग्धों को कार्रवाई से बचा रहे हैं.

फिलहाल इस सनसनीखेज मामले को एमएलए विनोद सिंह ने संज्ञान लिया है. उन्होंने गोरक्षपीठाधीश्वर सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिख उच्च स्तरीय जांच व दोषियों पर कार्यवाही करने की मांग की है। जिससे अफसरों की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए हैं.

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