मध्य प्रदेश में स्क्रैप सर्टिफिकेट का अवैध कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। सरकार ने स्क्रैप पॉलिसी में बदलाव कर पुराने वाहनों को ऑफ रोड करने पर नए वाहन खरीदते समय रोड टैक्स में 50 प्रतिशत तक की छूट का प्रावधान किया है। लेकिन इसका गलत फायदा उठाने के लिए दूसरे राज्यों के वेंडर सक्रिय हो गए हैं। ये वेंडर गाड़ी को स्क्रैप होना दिखाकर फर्जी सर्टिफिकेट 40-40 हजार रुपये में बेच रहे हैं।
परिवहन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, इस गड़बड़ी से स्क्रैप पॉलिसी का मूल उद्देश्य प्रभावित हो रहा है। पुराने वाहन वास्तव में स्क्रैप हो रहे हैं या नहीं, इसकी जांच नहीं हो रही। आशंका है कि कई वाहन अब भी सड़कों पर दौड़ रहे हैं, जबकि उनके नाम पर स्क्रैप सर्टिफिकेट जनरेट हो चुका है।
ग्वालियर समेत प्रदेश के कई शहरों में हर महीने बड़ी संख्या में स्क्रैप सर्टिफिकेट जारी हो रहे हैं। एक वेंडर ने नाम न छापने की शर्त पर स्वीकार किया कि वह हर माह 300 से ज्यादा सर्टिफिकेट उपलब्ध कराता है और प्रति सर्टिफिकेट 40 हजार रुपये वसूलता है। वहीं ग्वालियर में ही हर माह सौ से अधिक सर्टिफिकेट दिए जा रहे हैं, जबकि इतने वाहन वास्तव में स्क्रैप हो रहे हैं या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है।
ऑटोमोबाइल शोरूम पर भी इन वेंडरों का नेटवर्क सक्रिय है। नया वाहन खरीदने वाले ग्राहकों को शोरूम पर ही स्क्रैप सर्टिफिकेट दिलाने का आश्वासन दिया जाता है। खासकर लग्जरी वाहनों में इन सर्टिफिकेट्स का ज्यादा दुरुपयोग किया जा रहा है, क्योंकि इन पर छूट की राशि भी अधिक होती है।
सरकार ने बड़े शहरों में स्क्रैप सेंटर बनाए हैं, लेकिन बाहरी वेंडर वहां की प्रक्रिया को दरकिनार कर फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। संदेह है कि दूरदराज राज्यों से भी स्क्रैप सर्टिफिकेट जनरेट किए जा रहे हैं।
परिवहन विभाग का कहना है कि इस मामले में आगे स्थिति और स्पष्ट होगी। विभाग का मकसद उपभोक्ताओं को पुराने वाहन स्क्रैप करने पर ही टैक्स छूट दिलाना है। लेकिन सर्टिफिकेट के खुलेआम बिकने से नीति का उद्देश्य अधूरा रह रहा है और धोखाधड़ी का खतरा लगातार बढ़ रहा है।