सुपौल के शिक्षकों के लिए खुशखबरी, बोले बोर्ड अध्यक्ष जल्द मिलेगी बेहतर सुविधा

सुपौल: संस्कृत शिक्षा को लेकर लंबे समय से उठ रही मांगों को सरकार के स्तर पर गंभीरता से लिया जा रहा है. इसी कड़ी में पूरे बिहार के 50 संस्कृत विद्यालयों को टेन प्लस टू का दर्जा देने के लिए प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा गया है. साथ ही 27 वर्षों के बाद संस्कृत का सिलेबस भी रिवाइज किया गया है. अब विद्यार्थियों को संस्कृत पाठ्यक्रम में रामचरितमानस और श्रीमद्भागवत गीता का भी अध्ययन कराया जाएगा.

यह जानकारी संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार झा ने रविवार को सरायगढ़ भपटियाही प्रखंड के ललित नारायण स्मारक प्राथमिक सह मध्य संस्कृत विद्यालय, मुरली के प्रांगण में आयोजित अभिनंदन समारोह सह संस्कृत शिक्षकों की जिलास्तरीय बैठक में दी.

अध्यक्ष ने कहा कि संस्कृत विद्यालयों में आज भी बड़ी संख्या में शिक्षकों के पद रिक्त हैं, जिसका सीधा असर पठन-पाठन पर पड़ रहा है. बोर्ड की ओर से खाली पदों की पूर्ति रोस्टर के आधार पर शीघ्र की जाएगी. उन्होंने कहा कि संस्कृत शिक्षा बोर्ड ने एक नया पोर्टल तैयार किया है, जिससे अब कार्य पूरी तरह पारदर्शी तरीके से होगा. कहा कि संस्कृत शिक्षा बोर्ड में अब किसी प्रकार का काम अवैध रूप से नहीं होगा. इसके लिए ऐसी व्यवस्था कर दी गई है जिससे हर प्रक्रिया पारदर्शी रहे. विद्यालय भवन निर्माण को लेकर उन्होंने बताया कि 648 डीपीआर तैयार किए गए हैं, जिन पर कुल 13 करोड़ रुपये की लागत आएगी. इसके तहत भवन निर्माण कार्य को गति दी जाएगी. संस्कृत विद्यालयों की दशा और दिशा सुधारने के लिए लगातार काम हो रहा है. बच्चों को बेहतर से बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए न केवल बोर्ड बल्कि शिक्षकों की भी समान जिम्मेदारी है.

उन्होंने शिक्षकों से अपेक्षा जताई कि वे विद्यार्थियों को संस्कृत भाषा और साहित्य की वास्तविक गहराई से परिचित कराएं ताकि समाज में संस्कृत शिक्षा का महत्व और भी बढ़े. अभिनंदन समारोह में मुरली गांव में व्यापक तैयारी की गई थी.

कार्यक्रम का उद्घाटन अध्यक्ष ने दीप प्रज्वलित कर किया. उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता शिक्षक विजयकांत मिश्र ने की. बैठक के दौरान उपस्थित शिक्षकों ने बोर्ड अध्यक्ष को एक ज्ञापन भी सौंपा.

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