मनीषा कोइराला का नेपाल पर बयान: संविधान में राजशाही के लिए भी जगह होनी चाहिए थी

एक्ट्रेस मनीषा कोइराला ने नेपाल की राजनीति और संविधान को लेकर अपनी गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि नेपाल में लोकतंत्र पूरी तरह से प्रभावी नहीं है और संविधान लोगों को न्याय नहीं दिला पाया। मनीषा ने कहा कि संविधान में राजशाही के लिए भी जगह होनी चाहिए थी, क्योंकि 80-90 प्रतिशत लोग हिंदू हैं और राजा के प्रति सम्मान आज भी बरकरार है। इस भावना को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए था।

मनीषा कोइराला ने बताया कि नेपाल की राजनीति में बार-बार सरकारें गिरती रहती हैं और युवा नेताओं में राजनीतिक सिद्धांत धीरे-धीरे कमजोर हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि जब युवा नेता राजनीति में आते हैं, तो उनके इरादे अच्छे होते हैं, लेकिन समय और समझौतों के चलते वे अपने मूल सिद्धांत खो देते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीति सेवा के लिए है और इसे जनता के हित में होना चाहिए, लेकिन वास्तविकता में यह सपना अक्सर धुंधला पड़ जाता है।

मनीषा ने परंपरा और आधुनिकता के संतुलन की आवश्यकता पर जोर दिया। उनका मानना है कि नेपाली समाज में खुलापन और परंपरा दोनों मौजूद हैं, और यदि दोनों का संतुलन स्थापित किया जाता, तो वर्तमान हालात बेहतर होते। उन्होंने कहा कि चाहे वे आधुनिकता को अपनाएं, लेकिन अपनी परंपराओं और सांस्कृतिक आस्थाओं के प्रति उनका गहरा लगाव है।

शाही महल में नरसंहार के समय मनीषा लंदन में शूटिंग कर रही थीं। उन्होंने उस समय की घटना के बारे में बताते हुए कहा कि खबर सुनते ही वह पूरी तरह टूट गई थीं और उनके माता-पिता भी भावुक हो गए थे। मनीषा ने जोर देकर कहा कि यह आस्था और परंपरा नेपाली समाज की गहरी पहचान है, जिसे मिटाया नहीं जा सकता।

मनीषा ने यह भी स्पष्ट किया कि लोकतंत्र ही सही मार्ग है, लेकिन यह केवल दिखावे का नहीं होना चाहिए। लोकतंत्र में संस्थाओं को राजनीतिक दखल से मुक्त रखा जाना चाहिए और निर्णय योग्यता के आधार पर लिए जाने चाहिए, न कि राजनीतिक नियुक्तियों के आधार पर।

उनका यह बयान नेपाल की राजनीति, युवा नेताओं की जिम्मेदारी और लोकतंत्र के वास्तविक स्वरूप पर गंभीर सवाल खड़े करता है। मनीषा कोइराला का यह दृष्टिकोण नेपाली समाज में परंपरा और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है।

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