रूसी विदेश मंत्रालय ने भारत की सराहना करते हुए कहा है कि नई दिल्ली ने मॉस्को के साथ सहयोग जारी रखने और संबंध तोड़ने के दबाव को ठुकराने का साहस दिखाया है. आरटी (रूस टुडे) के सवालों के जवाब में जारी बयान में मंत्रालय ने कहा कि पश्चिमी दबाव और धमकियों के बावजूद भारत रूस के साथ बहुआयामी सहयोग को जारी रखने और विस्तार देने का संकल्प दिखा रहा है.
रूसी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा, ‘ईमानदारी से कहें तो इससे कुछ और की कल्पना करना मुश्किल है. रूस-भारत संबंध स्थिर और आत्मविश्वास से आगे बढ़ रहे हैं. इसमें बाधा डालने का कोई भी प्रयास असफल ही होगा. पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद नई दिल्ली का रूस के साथ संबंध बनाए रखना न केवल हमारी मित्रता की लंबे समय से चली आ रही भावना और परंपराओं को प्रतिबिंबित करता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मामलों में रणनीतिक स्वायत्तता का भी प्रतीक है.’
भारत के साथ हमारे संबंध विश्वसनीय हैं: रूस
मॉस्को ने दावा किया कि रूस और भारत के बीच साझेदारी संप्रभुता के सर्वोच्च मूल्य और राष्ट्रीय हितों की प्राथमिकता पर आधारित हैं, यही कारण है कि ये संबंध विश्वसनीय हैं. रूसी अधिकारियों ने बताया कि दोनों देश विभिन्न क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर जॉइंट प्रोजेक्ट में लगे हुए हैं. इनमें सैन्य उत्पादन, मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन, परमाणु ऊर्जा और रूसी आयल एक्सप्लोरेशन प्रोजेक्ट्स में भारतीय निवेश शामिल हैं.
रूलस का यह बयान अमेरिकी दबाव के बीच आया है. पिछले महीने अमेरिका ने अधिकांश भारतीय उत्पादों पर 50 फीसदी टैरिफ लगाया, जिसमें 25% बेस लाइन टैरिफ के अलावा रूसी तेल और रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए दंड के रूप में अतिरिक्त 25% टैरिफ शामिल है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके वरिष्ठ अधिकारियों ने दावा किया कि भारत के रूस से ऊर्जा आयात ने अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन युद्ध को वित्तपोषित किया है.
दबाव के बावजूद भारत-रूस की दोस्ती कायम
भारत ने इन आरोपों को खारिज करते हुए वाशिंगटन के कदम को अनुचित, अव्यवहारिक और गलत करार दिया. रूस-भारत संबंधों की मजबूती हाल के आंकड़ों से भी झलकती है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार रिकॉर्ड 68.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें भारत का रूस के साथ 59 अरब डॉलर का व्यापार घाटा है, मुख्य रूप से तेल आयात के कारण. दोनों देशों ने 2025 तक 30 अरब डॉलर के निवेश लक्ष्य को पार करने का संकल्प लिया है.
रक्षा क्षेत्र में भारत द्वारा आयातित हथियारों का 50% से अधिक रूस से आता है. ऊर्जा क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ा है, जहां भारत रूसी कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार बन गया है, जो 2020 में मात्र 50,000 बैरल प्रति दिन से बढ़कर 2025 में औसतन 1.6 मिलियन बैरल प्रति दिन हो गया. भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अगस्त 2025 में मॉस्को यात्रा के दौरान कहा था कि दोनों देश हाइड्रोकार्बन और रूसी तेल शिपमेंट में विस्तृत प्रगति कर रहे हैं. इससे स्पष्ट है कि पश्चिमी दबाव के बावजूद रूस-भारत साझेदारी न केवल बरकरार है, बल्कि नई ऊंचाइयों को छू रही है.