भगवान भरोसे स्वास्थ्य सेवा: 21वीं सदी में भी झलगी पर ढोए जा रहे हैं मरीज

 

सूरजपुर-प्रतापपुर : कहते हैं यह 21वीं सदी है… लेकिन हकीकत देखकर कोई भी हैरान रह जाएगा.जहां एक ओर सरकार और विभाग बड़े-बड़े दावे करते नहीं थकते, वहीं प्रतापपुर क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा का हाल ऐसा है कि आज भी मरीजों को झलगी पर लादकर अस्पताल पहुंचाना पड़ रहा है.

प्रतापपुर विकासखंड के ग्राम गोरगी (रामका पारा) निवासी नान राम कोडाकू गंभीर रूप से बीमार हो गए. परिजन बार-बार एंबुलेंस के लिए कॉल करते रहे, लेकिन कोई वाहन नहीं आया.आखिरकार मजबूर होकर ग्रामीणों ने मिट्टी ढोने वाली झलगी पर मरीज को लिटाया और 25 किलोमीटर का लंबा सफर तय कर प्रतापपुर स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे.

 

इस बीच रास्ते में कई लोगों ने यह मंजर देखा.किसी ने वीडियो बना लिया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.वीडियो सामने आते ही सरकार और स्वास्थ्य विभाग की जमकर किरकिरी होने लगी.ग्रामीणों ने सवाल उठाए – “क्या यही है 21वीं सदी का स्वास्थ्य तंत्र? क्या इसी तरह तड़प-तड़पकर ग्रामीण दम तोड़ते रहेंगे?”

लोगों का कहना है कि सरकार ने हर गांव-गांव तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने की बातें तो खूब कीं, लेकिन असल में हालात बिल्कुल उलट हैं  कोडाकू जैसी पिछड़ी जनजाति आज भी बुनियादी स्वास्थ्य सुविधा से वंचित है.

इस मामले पर सूरजपुर के सीएमएचओ कपिल पैकरा ने भी माना – “यह बहुत बड़ी लापरवाही है। जांच के लिए टीम गठित की जाएगी, दोषियों पर कार्रवाई होगी और मरीज का हरसंभव इलाज कराया जाएगा.”

बताया गया कि गोरगी से चंदौरा तक 18 किलोमीटर झलगी पर और फिर चंदौरा से 8 किलोमीटर बाइक पर मरीज को ढोकर अस्पताल पहुंचाया गया। यह दृश्य देखकर कई लोगों की आंखें भर आईं.

सवाल अब भी बाकी…

सरकार की योजनाएं और विभागीय दावे चाहे कितने भी आकर्षक हों, लेकिन जमीन पर सच्चाई बिल्कुल अलग है.21वीं सदी की यह कड़वी तस्वीर सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर कब तक ग्रामीण भगवान भरोसे ही जिंदा रहेंगे.

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