मान लीजिए, आप अपनी गाड़ी लेकर सर्विस सेंटर पहुँचे. काम निबट गया, बिल हाथ में आया. जैसे ही आँखें ऊपर से नीचे तक दौड़ीं, माथे पर बल पड़ गया. लगा कि गाड़ी की मेंटेनेंस कम है, जेब की एक्सरसाइज़ ज़्यादा है. पहले से ही पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों का बोझ, इंश्योरेंस की टेंशन और ऊपर से जब रिपेयर का बिल सामने आता है, तो दिल बैठ जाता है. लेकिन अब सरकार ने इस दर्द में थोड़ा मलहम लगाने का काम किया है. जी हां गुड्स एंड सर्विस टैक्स के स्ट्रक्चर में हुए बदलाव का असर केवल नई कार या बाइक्स की खरीदारी पर ही नहीं बल्कि उनकी मरम्मत पर भी पड़ेगा.
दरअसल, हाल ही में घोषित GST 2.0 में ऑटो कंपोनेंट्स पर टैक्स स्लैब बदल दिया गया है. पहले जहाँ पुर्ज़ों पर दो टैक्स दरें (18% और 28%) लागू थीं. अब सबको एक ही स्लैब में डाल दिया गया है. यानी, अब इन सभी ऑटो पार्ट्स पर सिर्फ़ 18% GST लगेगा. यानी वो कंपोनेंट्स या पार्ट्स जिन पर अब तक आप 28% जीएसटी चुकाते आए हैं उनमें भी 10% की कटौती देखने को मिलेगी. नई जीएसटी स्लैब आगामी 22 सितंबर से लागू होगी.
क्यों ज़रूरी था ये बदलाव?
अभी तक करीब 40% ऑटो कंपोनेंट्स 28% वाली ऊँची दर में आते थे. इन्हें ‘लग्ज़री’ या ‘परफॉर्मेंस’ पार्ट्स की कैटेगरी में रखा गया था. जिसका सीधा असर लोगों की जेब पर पड़ता था. चाहे गाड़ी के ब्रेक पैड बदलवाइए या कोई दूसरा रिपेयरिंग वर्क करवाइए. आपको मोटी रकम चुकानी होती थी. ऐसे में कंपोनेंट्स को नए जीएसटी स्लैब में शामिल करना बेहद ही जरूरी था.
क्या कह रही है इंडस्ट्री?
ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री का मानना है कि, वाहनों में इस्तेमाल होने वाले कंपोनेंटस को 28% से 18% जीएसटी के दायरे में लाने से उपभोक्ताओं और इंडस्ट्री, दोनों के लिए बड़ी राहत है. इससे गाड़ी की टोटल कॉस्ट ऑफ ओनरशिप (TCO) घटेगी. लोग कम खर्च में अपने वाहनों की मरम्मत करा सकेंगे.
ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ACMA) की प्रेसिडेंट श्रद्धा सूरी मारवाह का कहना है कि, “सभी ऑटो कंपोनेंट्स पर जीएसटी की दर को एक समान 18% तक सीमित करना ACMA की लंबे समय से चली आ रही सिफ़ारिश रही है. ये कदम न सिर्फ़ नकली पुर्ज़ों के बाज़ार को रोकेगा बल्कि MSMEs को ताक़त देगा और भारत के 80.2 बिलियन डॉलर के ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री को और मज़बूत करेगा.”
Eka Mobility के चेयरमैन डॉ. सुधीर मेहता का कहना है कि, “ऑटो कंपोनेंट्स पर जीएसटी को 28% से घटाकर 18% करना एक बेहद ही अहम फैसला है. इससे ऑटोमोटिव सप्लाई चेन पर लागत का दबाव कम होगा. और एम्बुलेंस व स्पेशलाइज्ड गाड़ियों जैसी अहम सेवाओं को किफायती बनाया जा सकेगा, जिससे इन सर्विसेज तक लोगों की पहुंच आसान होगी.”
आपको क्या होगा फायदा?
गाड़ी के पार्ट्स की कीमत कम होगी, तो रिपेयर बिल भी हल्का होगा.
पहले ऑटो कंपोनेंट्स पर दो टैक्स स्लैब (18% और 28%) थे, अब सभी पर 18% जीएसटी लागू होगा.
तकरीबन 40% कंपोनेंट्स पहले 28% टैक्स में आते थे, जो अब सस्ते हो जाएंगे.
इससे टोटल कॉस्ट ऑफ ओरनरशिप किफायती होगा और सर्विस बिल घटेगा.
स्पेयर पार्ट्स बाज़ार में नकली/घटिया उत्पादों की समस्या पर अंकुश लगेगा.
MSMEs और भारतीय ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री को मजबूती मिलेगी.
ऑटो आफ्टरमार्केट का साइज पहले से ही 99,000 करोड़ तक पहुँच चुका है और 7.4% CAGR की रफ्तार से बढ़ रहा है. नए टैक्स स्ट्रक्चर से इसमें और तेजी आने की उम्मीद है. तो अगली बार जब अपनी गाड़ी वर्कशॉप ले जाएं, तो याद रखिए GST 2.0 सिर्फ़ नए वाहन खरीदारों के लिए ही ख़ुशी की वजह नहीं है, बल्कि पुराने वाहन मालिकों के लिए भी राहत का पैकेज है.