SC का बड़ा फैसला: राजनीतिक दल कार्यस्थल नहीं, POSH एक्ट लागू नहीं होगा

महिलाओं की सुरक्षा के लिए ऑफिस में पॉश एक्ट (Posh Act) लागू होता है. यह कार्यस्थल पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से सुरक्षा देने वाला एक कानून है. सुप्रीम कोर्ट में राजनीतिक दलों में भी पॉश एक्ट लागू करने की मांग की गई थी. हालांकि, कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दलों को कार्यस्थल नहीं माना जा सकता और उनके सदस्य कर्मचारी नहीं माने जा सकते.

चीफ जस्टिस बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली बेंच, जिसमें जस्टिस के. विनोद चंद्रन और एन.वी. अंजारिया भी शामिल थे,उन्होंने कहा कि अगर राजनीतिक दलों को कार्यस्थल मान लिया गया तो यह पैंडोरा का बक्सा (Pandoras box.) खोलने जैसा होगा.

“राजनीतिक दल कोई कार्यस्थल नहीं”

कोर्ट ने कहा, आप किसी राजनीतिक पार्टी को कार्यस्थल कैसे घोषित कर सकते हैं? वहां नौकरी है क्या? जब आप किसी पार्टी से जुड़ते हैं तो आपको नौकरी नहीं मिलती और न ही आपके काम के लिए भुगतान होता है.

कोर्ट उस विशेष अनुमति याचिका (SLP) पर सुनवाई कर रहा था जो अधिवक्ता योगमाया एम.जी. ने दायर की थी. यह याचिका 2022 में केरल हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती देती है, जिसमें कहा गया था कि राजनीतिक दलों पर POSH अधिनियम के तहत Internal Complaints Committee (ICC) बनाने की बाध्यता नहीं है, क्योंकि पार्टी सदस्य पारंपरिक मायने में कर्मचारी नहीं माने जाते.

याचिकाकर्ता ने क्या तर्क दिया?

याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने दलील दी कि POSH अधिनियम में किसी संस्था—सार्वजनिक या निजी—के लिए कोई अपवाद नहीं है. राजनीतिक दलों को इससे बाहर रखना महिलाओं को असुरक्षित छोड़ देता है. इसके बावजूद कोर्ट ने साफ कहा कि राजनीतिक दलों को कार्यस्थल के समान नहीं माना जा सकता. सीजेआई के नेतृत्व वाली बेंच ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, केरल हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा.

याचिका में कहा गया कि ऐसा अपवाद मनमाना, भेदभावपूर्ण और संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19 और 21 का उल्लंघन है. इसमें यह भी कहा गया कि महिलाएं—चाहे स्वयंसेवक, प्रचारक, इंटर्न या जमीनी कार्यकर्ता हों—असुरक्षित माहौल में काम करती हैं और उनके पास कोई औपचारिक शिकायत निवारण तंत्र नहीं है. ऐसी सुरक्षा से मनमाना इनकार कानून के मकसद को ही नष्ट कर देता है.

याचिका में क्या मांग की गई?

याचिका में मांग की गई थी किराजनीतिक दलों को POSH अधिनियम की धारा 2(g) के तहत नियोक्ता (employers) घोषित किया जाए.सभी राजनीतिक दलों के लिए ICC बनाना अनिवार्य हो.

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