जमुई : शिक्षा विभाग की पहल और शिक्षकों की लगन ने जिले के सरकारी स्कूलों की तस्वीर बदलनी शुरू कर दी है. जिन विद्यालयों में कभी ताले लटकते थे और बच्चों की गिनती मुश्किल से 10-15 तक होती थी, वहीं अब महादलित टोले के स्कूलों में 90 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज हो रही है. यह बदलाव इतना असरदार साबित हुआ है कि कई अभिभावक अपने बच्चों का नाम निजी स्कूलों से कटवाकर सरकारी विद्यालयों में लिखवा रहे हैं.
जमुई शहर के लगमा मोहल्ले स्थित प्राथमिक विद्यालय इस परिवर्तन की मिसाल बन गया है। यहां अब बच्चे पूरी यूनिफॉर्म में समय पर पहुंचते हैं. शिक्षक केवल पढ़ाई पर ही नहीं, बल्कि अनुशासन, नैतिक शिक्षा और सर्वांगीण विकास पर भी विशेष ध्यान दे रहे हैं.विद्यालय में शुरू किए गए ‘चेतना वर्ग’ ने बदलाव की बुनियाद रखी. हर दिन प्रार्थना सभा में गीत और संगीत के माध्यम से बच्चों को न केवल शिक्षा बल्कि बेहतर इंसान बनने की सीख भी दी जा रही है. इस पहल ने बच्चों और उनके अभिभावकों दोनों पर गहरा असर डाला है. स्कूल के शिक्षक अपने संसाधनों से बच्चों के लिए बेल्ट और टाई लेकर आए, जिससे विद्यार्थियों का आत्मविश्वास और बढ़ गया.
प्रधानाध्यापक टिंकू लाल बताते हैं कि जब उनकी पोस्टिंग लगमा प्राथमिक विद्यालय में हुई थी, तब हालात बेहद खराब थे. विद्यालय में मुश्किल से 10-15 बच्चे आते थे और अभिभावक बच्चों को सरकारी स्कूल भेजने के लिए गंभीर नहीं थे. ऐसे में उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ गांव-गांव जाकर ग्रामीणों को शिक्षा का महत्व समझाया. इसके लिए शिक्षकों ने खुद अपने खर्च से बच्चों को प्रोत्साहित करने हेतु यूनिफॉर्म और आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराई.
धीरे-धीरे ग्रामीणों का नजरिया बदला। जब अभिभावकों ने देखा कि सरकारी स्कूल में बच्चों को अनुशासित माहौल, बेहतर शिक्षा और संस्कार मिल रहे हैं, तो उन्होंने निजी स्कूलों से नाम कटवाकर बच्चों को प्राथमिक विद्यालय लगमा में दाखिल कराना शुरू कर दिया. परिणामस्वरूप कुछ ही महीनों में विद्यालय में बच्चों की संख्या बढ़कर करीब 100 तक पहुंच गई.आज यह स्कूल जिले के लिए प्रेरणा का केंद्र बन गया है. शिक्षा विभाग और स्थानीय प्रशासन भी इस पहल को सराह रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि अगर इसी तरह सभी विद्यालयों में शिक्षकों की सक्रियता और जागरूकता बनी रहे तो सरकारी स्कूलों पर से अविश्वास की धारणा पूरी तरह खत्म हो जाएगी और हर बच्चा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पा सकेगा.