भाजपा की गुटबाजी ग्वालियर में सड़कों और सोशल मीडिया तक पहुंची

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भाजपा की गुटबाजी अब सार्वजनिक हो गई है। हालात ऐसे हैं कि पार्टी के दो खेमों में विभाजन साफ नजर आ रहा है। हाल ही में ग्वालियर के भाजपा सांसद भारत सिंह कुशवाह ने जिले में विकास कार्यों की समीक्षा के लिए बैठक की, लेकिन केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा कलेक्ट्रेट में बुलाई गई बैठक में वह नदारद रहे। यह बैठक सिंधिया के समर्थक मंत्री तुलसी सिलावट के नाम से आयोजित की गई थी, जिसमें सिंधिया अपने समर्थकों के साथ शामिल हुए।

भारत सिंह कुशवाह के नदारद रहने से सिंधिया समर्थक असहज महसूस कर रहे थे। कांग्रेस के समय ग्वालियर चंबल में सिंधिया के बिना कोई कदम नहीं उठता था, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। कुछ महीने पहले मुरार के सरकारी गर्ल्स कॉलेज में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने भाषण में कहा था कि ग्वालियर पिछड़ गया है और अब नेतृत्व संभालने की जिम्मेदारी नेताओं की है। इसी संदर्भ में अफसरों के कार्य और जिले की स्थिति पर भी सवाल उठाए गए।

सिंधिया ने तीन दिन का दौरा किया, जिसमें उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र और मुरैना में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की। दौरे के दौरान उन्होंने पार्टी में अपनी ताकत दिखाई और नेताओं को अपने पक्ष में जोड़ा। इस दौरान सोशल मीडिया पर तोमर और सिंधिया समर्थकों के बीच बहस भी तेज हुई।

बैठक में सिंधिया के समर्थक कई मंत्रियों और चुनाव हार चुके नेताओं के साथ पहुंचे। भाजपा कोटे के मंत्री नारायण सिंह कुशवाह भी बैठक में थे, लेकिन उन्हें तोमर विरोधी माना जाता है। इस तरह सांसद भारत सिंह कुशवाह की अनुपस्थिति ने पार्टी के भीतर खींचतान और गुटबाजी को और उजागर कर दिया।

कांग्रेस ने भी इस विवाद का राजनीतिक लाभ उठाना शुरू कर दिया है। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा की गुटबाजी के चलते ग्वालियर में विकास का काम प्रभावित हो रहा है। शहर की बदहाली और प्रशासनिक चुनौती अब सार्वजनिक और मीडिया की निगाह में आ चुकी है। इस बैठक और सांसद की अनुपस्थिति से यह स्पष्ट हो गया है कि पार्टी में अंदरूनी तनाव और विभाजन अब सड़कों और सोशल मीडिया तक दिखाई दे रहा है।

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