मध्य प्रदेश सरकार ने अलीराजपुर जिले का नाम बदलकर आधिकारिक रूप से “आलीराजपुर” करने की अधिसूचना जारी कर दी है। यह निर्णय भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा 21 अगस्त को जारी अनापत्ति पत्र के आधार पर लिया गया। अब इस जिले को सभी सरकारी दस्तावेजों, मानचित्रों और सरकारी संवाद में “आलीराजपुर” के नाम से ही संदर्भित किया जाएगा।
जिले का नाम बदलने का प्रस्ताव कलेक्टर ने स्थानीय लोगों की मांग पर राज्य सरकार को भेजा था। इसके बाद राज्य सरकार ने इसे केंद्र सरकार को अनुमोदन के लिए भेजा। केंद्र सरकार ने एनओसी जारी कर इस बदलाव को मंजूरी दे दी। अधिसूचना जारी होते ही नाम बदलने की प्रक्रिया सभी स्तरों पर लागू हो जाएगी।
अलीराजपुर जिला 17 मई 2008 को झाबुआ जिले से अलग होकर अस्तित्व में आया था। तत्कालीन मुख्यालय के नाम पर जिले का नाम “अलीराजपुर” रखा गया था। अब स्थानीय लोगों की भावनाओं और ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए इसे “आलीराजपुर” नाम दिया गया है।
जिले के नए नाम की व्युत्पत्ति ऐतिहासिक संदर्भ से जुड़ी है। 18वीं सदी में राजा प्रताप सिंह प्रथम के वजीर मुसाफिर मकरानी ने क्षेत्र के नामकरण की सलाह दी थी। इस क्षेत्र का पहले नाम “राजपुर” था और इसके पास एक गांव “आली” नामक था। दोनों नामों को जोड़कर इसे “आलीराजपुर” कहा गया। अंग्रेजी शासन के दौरान स्पेलिंग में बदलाव होने के कारण यह “अलीराजपुर” बन गया था। अब सरकार ने इसे पुनः ऐतिहासिक और पारंपरिक रूप में वापस बदल दिया है।
राजा प्रताप सिंह प्रथम का शासन 1765 से 1818 तक चला। इस बदलाव से न केवल जिले की ऐतिहासिक पहचान को सम्मान मिला है, बल्कि स्थानीय लोगों की भावनाओं का भी सम्मान किया गया है।
आधिकारिक रूप से नाम बदलने के बाद आगामी दिनों में सरकारी दस्तावेजों, साइनबोर्ड और मानचित्रों में सभी जगह इसे “आलीराजपुर” नाम से दर्शाया जाएगा। इस बदलाव को स्थानीय लोगों और प्रशासन ने सकारात्मक रूप में लिया है, क्योंकि इससे जिले की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को सही रूप में संरक्षित करने में मदद मिलेगी।