public hand dryer risk: हम सभी मानते हैं कि हाथ धोना बीमारियों से बचने का सबसे आसान और अच्छा तरीका है. यही वजह है कि हर जगह घर से लेकर स्कूल, ऑफिस, हॉस्पिटल, एयरपोर्ट और रेस्त्रां तक हमें हाथ धोने की खास सुविधा मिलती है, लेकिन असली समस्या तब शुरू होती है जब हाथ धोने के बाद उन्हें सुखाना होता है. आमतौर पर लोग हाथ पूछने के लिए पेपर टॉवल, रूमाल या टिश्यू का इस्तेमाल करते हैं,मगर आजकल सभी जगहों के वॉशरूम में पेपर टॉवल की जगह हैंड ड्रायर का इस्तेमाल आम हो गया है, लोग सोचते हैं कि यह मॉर्डन, आसान और इको-फ्रेंडली तरीका है, लेकिन कई रिसर्च ये बताती है कि पब्लिक जगहों पर लगे हैंड ड्रायर उतने सुरक्षित नहीं हैं जितना हम समझते हैं.
डॉ.लॉरा गोंजालेज जो एक बायोलॉजिस्ट हैं और साइंटिफिक फैक्ट्स के आधार पर लोगों को हेल्थ से जुड़ी जानकारी देती हैं, उन्होंने हाल ही में पब्लिक प्लेस में लगे हैंड ड्रायर के इस्तेमाल से होने वाले जोखिम को लेकर लोगों को चेतावनी दी है. उनका कहना है कि वॉशरूम पहले से ही बैक्टीरिया और वायरस से भरा होता है, जब हम हैंड ड्रायर का यूज करते हैं तो ड्रायर टॉयलेट से निकलने वाले फ्लश एरोसोल यानी माइक्रोऑर्गेनिज्म को खींचते हैं और सीधे वो हमारे साफ हाथों पर आ जाते हैं यानी हाथ धोने का पूरा फायदा ही बेकार हो जाता है. वैसे डॉ.लॉरा ही नहीं बल्कि साइंटिफिक रिसर्च में ये कहा गया है कि हैंड ड्रायर सिर्फ हाथों को ही नहीं बल्कि पूरे बाथरूम को ही गंदा कर देते हैं.
जेट ड्रायर पर क्या कहती है रिसर्च?
कनेक्टिकट यूनिवर्सिटी और क्विनिपियाक यूनिवर्सिटी की स्टडी से पता चला है कि जब ड्रायर चालू किया गया और पेट्री डिश को बाथरूम की हवा के पास रखा गया तो उसमें 254 बैक्टीरिया की कॉलोनियां बन गईं. लेकिन जब ड्रायर बंद था तो लगभग कोई बैक्टीरिया नहीं पनपे. ये ज्यादातर बैक्टीरिया टॉयलेट से निकलने वाले छोटे-छोटे एरोसोल से आए थे. तेज हवा वाले जेट ड्रायर इस खतरे को और बढ़ा देते हैं, क्योंकि ये दूषित कणों को हाथों, कपड़ों और आसपास की चीजों पर फैला देते हैं. इससे ड्रायर इस्तेमाल करने वाला इंसान जर्म्स के ज्यादा पास आ जाता है.
साल 2018 में अमेरिकन सोसाइटी फॉर माइक्रोबायोलॉजी ने पाया कि गर्म हवा वाले ड्रायर हवा के साथ जर्म्स बाहर फेंकते हैं, यानी ड्रायर की हवा साफ नहीं होती, बल्कि उसमें गंदे कण मिल जाते हैं. ये पाया गया है कि hepa फिल्टर लगे होने के बाद भी ड्रायर हवा में बैक्टीरिया छोड़ते हैं. इसका मतलब है कि ये फिल्टर पूरी तरह से जोखिम को खत्म नहीं कर पाते.इंफेक्शन कंट्रोल और हॉस्पिटल एपिडेमियोलॉजी जर्नल में पब्लिश एक रिसर्च में यही बताया गया है कि जेट ड्रायर, तौलिए जैसे ट्रेडिशनल सुखाने के तरीकों की तुलना में जर्म्स को ज्यादा दूर तक फैला देते हैं, इनसे निकलने वाली बूंदें कई मीटर तक उड़ सकती हैं और लंबे समय तक हवा में बनी रहती हैं.
इन लोगों को अधिक खतरा ?
बच्चे और बुजुर्ग: उनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है, जिससे इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है.
कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग:डायबिटीज, कैंसर या अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों की इम्यूनिटी वीक होती है, वो जल्दी बीमार पड़ते हैं.
फूड इंडस्ट्री, हॉस्पिटल या क्लिनिक के वर्कर्स: जो लोग फूड इंडस्ट्री, हॉस्पिटल या क्लिनिक में काम करते हैं, वो लोग रोजाना ही मरीजों और खाने के संपर्क में आते हैं इसलिए वो लोग इससे जल्दी इफेक्ट हो सकते हैं.
पेपर टॉवल Vs हैंड ड्रायर
मेयो क्लिनिक प्रोसीडिंग्स में पब्लिश स्टडी से यह साफ हुआ है कि हाथ सुखाने के लिए पेपर टॉवल ड्रायर से ज्यादा सुरक्षित और इफेक्टिव हैं.
पेपर टॉवल हाथों से बैक्टीरिया को सीधे पोंछकर हटा देते हैं, जबकि ड्रायर हवा में जर्म्स फैला देते हैं.
पेपर टॉवल बाथरूम के बैक्टीरिया को फैलाते नहीं हैं.
पेपर टॉवल का इस्तेमाल लोग टैप बंद करने या टॉयलेट का गेट खोलने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे गंदी जगहों को सीधे छूने की जरूरत नहीं पड़ती और बीमारियों का खतरा कम हो जाता है.
पेपर टॉवल क्यों ज्यादा सुरक्षित हैं?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) जैसे बड़े स्वास्थ्य संगठनों का कहना है कि हाथ सुखाने के लिए पेपर टॉवल सबसे सुरक्षित ऑप्शन हैं.क्योंकि ये जल्दी से हाथों की नमी सोख लेते हैं.
जर्म्स के एक जगह से दूसरी जगह जाने की संभावना कम कर देते हैं.
एयर ड्रायर से होने वाले पॉल्यूशन और हवा में जर्म्स फैलने की समस्या से भी बचाते हैं.
खासकर एयरपोर्ट, स्कूलों और हॉस्पिटल जैसी भीड़भाड़ वाली जगहों पर जेट एयर ड्रायर की बजाय पेपर टॉवल का इस्तेमाल करना सही है, इससे इंफेक्शन का जोखिम कम हो जाता है.