GPS और बटन के चक्कर में पैनिक हो रहे कैब ड्राइवर, 19000 बचाने के लिए लांघ रहे सीमा

कर्नाटक परिवहन विभाग ने राज्य में चलने वाली सभी कमर्शियल गाड़ियों में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम और पैनिक बटन लगाना अनिवार्य कर दिया है. विभाग का कहना है कि यात्रा के दौरान किसी भी आपात स्थिति में यात्री या चालक पैनिक बटन दबाकर तुरंत आरटीओ कंट्रोल रूम से मदद मांग सकते हैं. हालांकि, इस फैसले का अब विरोध भी शुरू कर दिया है. फिटनेस सर्टिफिकेट बनवाने के लिए ड्राइवरों को 13 से 16 हजार रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं.

इस आदेश के आने के बाद नए वाहनों में शोरूम से निकलते समय ही जीपीएस और पैनिक बटन लगाए जा रहे हैं, लेकिन अब पुराने वाहनों को भी फिटनेस सर्टिफिकेट (एफसी) रिन्यूअल के लिए इन उपकरणों को लगवाना जरूरी कर दिया गया है. परिवहन के आदेश का टैक्सी मालिकों और चालकों ने विरोध शुरू कर दिया है. पहले उन्हें केवल 800 रूपए फिटनेस सर्टिफिकेट रिन्यूअल बनवाने में लगते थे.

जानें जीपीएस और पैनिक बटन लगाने का खर्च

उनका कहना है कि पुराने येलो बोर्ड वाहनों में जीपीएस और पैनिक बटन लगवाने के लिए उन्हें करीब 13,000 से 16,000 रुपये और हर साल रिन्यूअल पर 2,200 रुपये खर्च करने पड़ेंगे. 800 रुपए एफसी शुल्क मिलाकर उन्हें कुल लगभग 19,000 रुपये देने होंगे, जो उनके लिए भारी बोझ साबित हो रहा है. कई ड्राइवरों का कहना है कि जीपीएस और पैनिक बटन की कोई खास जरूरत नहीं है और ये उनके लिए किसी भी तरह से फायदेमंद नहीं होगा.

6 लाख कमर्शियल वाहन

इस वजह से कई टैक्सी मालिक और चालक पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश जा रहे हैं. वे केवल 800 रुपए में पेनुगोंडा, चित्तूर और अनंतपुर जैसे कर्नाटक सीमा से सटे आंध्र प्रदेश राज्य के आरटीओ दफ्तरों में जाकर अपने वाहनों का पंजीकरण वहां करवा रहे हैं, ताकि वह कर्नाटक परिवहन विभाग के आदेश से पड़ने आर्थिक भार से बच सके. राज्य में इस समय करीब 6 लाख कमर्शियल वाहन चल रहे हैं, जिनमें से लगभग 1.5 लाख वाहनों में अब तक जीपीएस और पैनिक बटन लगाए जा चुके हैं.

रोज आ रही 800 कॉल

आरटीओ कंट्रोल रूम को रोजाना लगभग 800 कॉल मिलती हैं, जिनमें ज्यादातर कॉल केवल यह जांचने के लिए होती हैं कि पैनिक बटन दबाने पर सच में कॉल बैक आता है या नहीं. आरटीओ कंट्रोल रूम की अधिकारी दीपा के मुताबिक, अब तक उन्हें 22 कॉलें गंभीर समस्याओं से जुड़ी मिली हैं, जिन्हें उन्होंने तुरंत पुलिस और अन्य आपात सेवाओं तक पहुंचाकर हल कराया है.

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