ग्वालियर में 32 साल की महिला जापानी इंसेफेलाइटिस की चपेट में

ग्वालियर जिले के डबरा ब्लॉक के करियावटी में रहने वाली 32 वर्षीय महिला को जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) होने की पुष्टि हुई है। यह जिले में इस गंभीर वायरल बीमारी का दूसरा मामला सामने आया है। महिला को तेज बुखार, सिरदर्द और उल्टी की शिकायत होने पर हजार बिस्तर अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

जिला महामारी नियंत्रण अधिकारी डॉ. मनोज कौरव और विशेषज्ञों की टीम ने महिला के परिवार की स्क्रीनिंग की। परिजन स्वस्थ पाए गए और किसी को बुखार या अन्य बीमारी के लक्षण नहीं मिले। महिला की कोई ट्रैवल हिस्ट्री भी नहीं मिली। इससे पहले जनवरी में सागरताल निवासी 15 साल की किशोरी को भी जेई की पुष्टि हुई थी।

महिला का कहना है कि तेज बुखार और उल्टी के कारण उन्होंने नजदीकी डॉक्टर से इलाज शुरू किया था, लेकिन हालत बिगड़ने पर उन्हें जेएएच अस्पताल लाया गया। 2 सितंबर को महिला को अस्पताल में भर्ती किया गया था और 11 सितंबर को डिस्चार्ज किया गया। बाद में जीआरएमसी लैब में जांच के दौरान 12 सितंबर को जेई की पुष्टि हुई। महिला फिलहाल स्वस्थ है।

जापानी इंसेफेलाइटिस एक गंभीर वायरल जूनोटिक रोग है। यह मच्छरों के माध्यम से फैलता है और प्रवासी पक्षी तथा सुअर इसके वाहक होते हैं। इस बीमारी के मुख्य लक्षण बुखार, सिरदर्द, थकान और उल्टी हैं। गंभीर मामलों में यह मस्तिष्क की सूजन, कोमा और लकवा तक बढ़ सकती है। संक्रमण मच्छर के काटने के 5 से 15 दिन बाद दिखाई देता है।

विशेषज्ञों ने बताया कि यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता। संक्रमण से बचाव के लिए टीकाकरण सबसे प्रभावी उपाय है। इसके साथ ही मच्छरों से बचाव और लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

जिला प्रशासन ने भी सतर्कता बरतते हुए पशु चिकित्सा विभाग को सर्वे करने के लिए पत्र लिखा है। अधिकारियों का कहना है कि स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने और मच्छर नियंत्रण पर ध्यान देना आवश्यक है, ताकि संक्रमण के नए मामले रोके जा सकें।

यह मामला ग्वालियर में स्वास्थ्य सुरक्षा की दिशा में एक चेतावनी भी है और लोगों को अपने और परिवार की सुरक्षा के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता दर्शाता है।

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