गुजरात हाईकोर्ट में आसाराम के पुत्र नारायण साईं ने अपनी बीमार मां से मिलने के लिए 45 दिन की अंतरिम जमानत की याचिका दायर की है। साईं के वकील ने अदालत में दलील दी कि याचिकाकर्ता की मां इस समय अस्पताल में भर्ती हैं और उनकी स्थिति गंभीर है। अदालत ने इस मामले की सुनवाई 18 सितंबर को करने का निर्णय लिया है।
नारायण साईं को सूरत सेशन कोर्ट ने 30 अप्रैल, 2019 को बलात्कार के विभिन्न मामलों में दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। वे दिसंबर 2013 से जेल में हैं। इसके पहले भी जून में गुजरात हाईकोर्ट ने मानवीय आधार पर उन्हें अपने पिता से मिलने के लिए पांच दिनों की अंतरिम जमानत दी थी, जिसमें कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नारायण साईं को अपने अनुयायियों या आसाराम के अनुयायियों के समूह से मिलने की अनुमति नहीं होगी।
इस बार दायर जमानत याचिका में साईं के वकील ने अदालत को बताया कि उनकी मां की तबीयत अचानक गंभीर हो गई है और वे उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलना चाहते हैं। अदालत ने इस याचिका पर सरकारी वकील को सभी निर्देश प्राप्त करने के आदेश दिए। नारायण साईं की ओर से पेश वकील ने न्यायमूर्ति इलेश वोरा और न्यायमूर्ति पी.एम. रावल की खंडपीठ के समक्ष दलीलें प्रस्तुत कीं।
गौरतलब है कि नारायण साईं के पिता आसाराम के खिलाफ राजस्थान उच्च न्यायालय में भी अलग बलात्कार मामले में 30 अगस्त तक आत्मसमर्पण करने का आदेश था। आसाराम की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई 22 सितंबर को होगी। हाईकोर्ट ने पहले भी स्पष्ट किया था कि साईं को अपने पिता या अनुयायियों के संपर्क में आने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
इस याचिका के माध्यम से नारायण साईं अपनी मां की स्वास्थ्य समस्या के कारण मानवीय आधार पर अदालत से राहत मांग रहे हैं। यदि अदालत उनकी याचिका मंजूर करती है, तो वे अपने परिवार के साथ सीमित समय के लिए मुलाकात कर पाएंगे। इस मामले को समाज में न्याय और मानवीय संवेदनाओं के दृष्टिकोण से भी काफी महत्व दिया जा रहा है।
अदालत की आगामी सुनवाई में इस याचिका पर फैसला आने के बाद ही स्पष्ट होगा कि नारायण साईं को मां से मिलने की अनुमति मिलती है या नहीं। फिलहाल साईं की ओर से दायर यह याचिका कोर्ट में विचाराधीन है और सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जा रहा है।