क्या जेल से बाहर आएंगे सपा नेता आजम खान? 5 साल पुराने केस में कोर्ट ने कर दिया बरी

समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान को मुरादाबाद की एमपी-एमएलए कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। एसीजेएम-1 की विशेष अदालत ने साल 2020 में दर्ज कोर्ट की अवमानना के एक मामले में आजम खान को बरी कर दिया। यह मामला छजलैट थाना क्षेत्र से जुड़ा था, जहां कोर्ट की तारीखों पर अनुपस्थित रहने के कारण आजम खान के खिलाफ अवमानना का मुकदमा दर्ज किया गया था।

इससे पहले साल 2008 में रामपुर के छजलैट थाने के सामने कथित रूप से रोड जाम करने के आरोप में आजम खान, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम और अन्य सपा नेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मामले में आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को दो साल की सजा सुनाई गई थी, जिसके चलते अब्दुल्ला आजम की विधायकी भी रद्द हो गई थी।

सुनवाई के दौरान बार-बार कोर्ट में अनुपस्थित रहने पर रामपुर गंज के तत्कालीन एसएचओ ने आजम खान के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मुकदमा दर्ज कराया था। यह मामला 2020 में दर्ज हुआ था और तब से सुनवाई चल रही थी।

मुरादाबाद की एमपी-एमएलए कोर्ट में आजम खान के वकील ने पैरवी की थी। उन्होंने तर्क दिया कि आजम खान की अनुपस्थिति जानबूझकर नहीं थी और इसके पीछे ठोस कारण थे। कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने और सबूतों की जांच करने के बाद आजम खान को अवमानना के आरोपों से बरी कर दिया।

हालांकि, छजलैट मामले में आजम खान और उनके बेटे की दो साल की सजा अब भी बरकरार है। उन्होंने बताया कि आजम खान की सजा के खिलाफ अपील की प्रक्रिया इलाहाबाद हाई कोर्ट में चल रही है।

इस बरी होने के फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है कि क्या आजम खान जल्द ही जेल से बाहर आ पाएंगे। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि कोर्ट ने अवमानना का आरोप हटाया है, लेकिन दो साल की सजा बरकरार रहने के कारण अभी उनके जेल से रिहाई पर अंतिम फैसला हाई कोर्ट की अपील प्रक्रिया के बाद ही स्पष्ट होगा।

सपा नेताओं और समर्थकों में राहत की लहर है, वहीं विपक्ष ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि आजम खान के बरी होने से आगामी चुनावों में उनकी राजनीतिक छवि और प्रभाव बढ़ सकता है।

मुरादाबाद और रामपुर क्षेत्र में इस मामले को लेकर जनता की निगाहें बनी हुई हैं। लोग देख रहे हैं कि अब आगे की कानूनी प्रक्रिया और हाई कोर्ट का रुख क्या रहेगा, जिससे यह तय होगा कि आजम खान अपने राजनीतिक जीवन में कितनी तेजी से वापसी कर पाएंगे।

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