वाराणसी कचहरी में पिटे दारोगा, वकीलों ने दौड़ा-दौड़ाकर मारा; हालत नाजुक… पति को देख बेसुध हुई पत्नी

वाराणसी कचहरी में मंगलवार को बड़ा बवाल हो गया. बड़ागांव थाने के दारोगा मिथिलेश कुमार को दर्जनों की संख्या में वकीलों ने दौड़ा-दौड़ा कर मारा. दारोगा मिथिलेश कुमार थाने के एक सिपाही के साथ किसी मामले में कचहरी आए हुए थे. दोपहर करीब तीन बजे जैसे ही वकीलों ने उनको देखा तो उनकी तरफ दौड़ पड़े और बेरहमी से मारने-पीटने लगे. दर्जनों की संख्या में वकील पीट रहे थे. जो भी दारोगा मिथिलेश कुमार को बचाने गया, वह चोटिल हो गया. दो-तीन पुलिस वालों को भी बचाने में चोट लगी है.

बता दें कि वकीलों के टारगेट पर मिथिलेश कुमार थे. घटना की जानकारी मिलते ही भारी संख्या में पुलिस फोर्स और पैरा मिलिट्री फोर्स के जवान तैनात कर दिए गए. कचहरी परिसर खाली हो गया और पुलिस ने फ्लैग मार्च किया. बुरी तरह से घायल मिथिलेश कुमार को पहले जिला अस्पताल ले जाया गया, फिर वहां से बीएचयू के ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया गया. वहां वो इस समय इमरजेंसी में भर्ती हैं. उनको काफी चोटे आई हैं और हालत नाजुक बताई जा रही है. उनकी पत्नी जब ट्रामा सेंटर पहुंचीं तो पति की हालत देखकर वह बेसुध हो गईं.

पुलिस कमिश्नर ने कहा- आरोपियों को छोड़ेंगे नहीं

वाराणसी के पुलिस कमिश्नर ने इस पूरे मामले में बयान जारी करते हुए कहा कि असामाजिक प्रवृत्ति के कुछ वकीलों ने हमारे एक सब इंस्पेक्टर को बुरी तरह से मारा है, जो ड्यूटी पर था. उसकी हालत नाजुक है और वो बीएचयू के ट्रामा सेंटर के इमरजेंसी में भर्ती है. इस मामले में हमने सभी इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य, सीसीटीवी फुटेज कलेक्ट कर लिया है. इस मामले में जितने भी आरोपी हैं, सबके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे. सेंट्रल बार और बनारस बार दोनों के ही पदाधिकारियों ने कहा है कि हम भी ऐसे असामाजिक वकीलों के खिलाफ विधिक कार्रवाई करेंगे.

मारपीट की जड़ जमीन का विवाद!

बताया जा रहा है कि बड़ागांव थाना क्षेत्र के पुआरी खुर्द गांव में दो पक्षों के बीच जमीन का विवाद है. मोहित सिंह और प्रेमचंद मौर्या के बीच ये जमीन का विवाद चल रहा है. 13 सितंबर को जमीन के इसी विवाद के मामले में ही पुलिस के सामने दोनों पक्ष भिड़ गए थे. पुलिस ने दोनों पक्षों का चालान कर दिया था. इसी दौरान एक वकील ने आरोप लगाया कि दारोगा मिथिलेश कुमार ने उनके साथ मारपीट की है. 13 सितंबर को हुई इस घटना ने 16 सितंबर को दारोगा पर हुए जानलेवा हमले की नींव रख दी.

 

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