केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के बयान अक्सर चर्चा में रहते हैं. हाल ही में उनका एक और बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने दावा किया कि दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मक्तूम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा था कि गडकरी जी को छह महीने के लिए दुबई भेज दीजिए. गडकरी का ये बयान सामने आते ही लोगों के बीच चर्चा छिड़ गई कि आखिर दुबई की सड़कें कैसी हैं, और वहां की ट्रांसपोर्ट सिस्टम की क्या खासियत है. तो आइए इसे विस्तार से जानते हैं.
दुबई का रोड मॉडल: पैदल यात्रियों के लिए अलग ब्रिज
दुबई की सड़के सिर्फ चौड़ी और हाईटेक ही नहीं बल्कि पैदल चलने वालों और साइकिल सवारों के लिए भी बेहद सुरक्षित मानी जाती है. दुबई की रोड्स एंड ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी(RTA) ने हाल ही में शेख राशिद स्ट्रीट और अल मीना स्ट्रीट पर दो नए पैदल यात्री पुल यानी पेडेस्ट्रियन ब्रिजेज बनाए हैं.
इसके अलावा छह और पैदल और साइकिल ब्रिज तैयार हो रहे हैं. इनमें से पाँच इस साल के अंत तक खुल जाएंगे, जबकि छठा 2027 में पूरा होगा. RTA का कहना है कि 2030 तक दुबई में और 23 पैदल ब्रिज बनाए जाएंगें. इसका मकसद है रोड सेफ्टी को और मजबूत करना और दुबई को पैदल और साइकिल फ्रेंडली सिटी बनाना.
2006 से अब तक 581% बढ़े पैदल ब्रिज
दुबई में पैदल यात्रियों और साइकिल सवारों को ध्यान में रखते हुए लगातार इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है. 2006 में जहां सिर्फ 26 पैदल ब्रिज और अंडरपास थे, वहीं 2024 तक ये संख्या बढ़कर 177 हो चुकी है. यानी 581% की बढ़ोतरी. इन ब्रिजों से रिहायशी इलाकों को शहर के बड़े आकर्षणों से जोड़ा गया है, ताकि लोग गाड़ियों पर कम और पैदल या साइकिल से ज्यादा सफर करें.
हादसों में मौतों का ग्राफ नीचे
RTA के मुताबिक, पैदल यात्रियों के लिए बनाए गए इन सुरक्षित रास्तों का बड़ा फायदा हुआ है. 2007 में जहां दुबई में 100,000 लोगों पर 9.5 मौतें होती थीं, वहीं 2024 में ये घटकर सिर्फ़ 0.3 रह गई हैं. यानी 97% की कमी. इतना ही नहीं, पैदल यात्रियों की संतुष्टि का स्तर 88% तक पहुंच गया है. 2023 में जहां 307 मिलियन पैदल यात्राएं हुईं, वहीं 2024 में ये बढ़कर 326 मिलियन तक पहुंच गईं.
डिजाइन और टेक्नोलॉजी से लैस ब्रिज
दुबई के पैदल ब्रिज केवल सुरक्षित ही नहीं, बल्कि खूबसूरत भी हैं. शेख जायेद रोड पर बना पैदल और साइकिल ब्रिज 528 मीटर लंबा है. अल खैल रोड पर 501 मीटर लंबा ब्रिज बनाया गया है, जिसकी बनावट सूरज की किरणों से प्रेरित है. अल मनारा स्ट्रीट पर 45 मीटर लंबा ब्रिज बना है, जो अल क्वोज क्रिएटिव जोन को पास के आकर्षणों से जोड़ता है. इन ब्रिजों में लिफ्ट, सीढ़ियाँ, इलेक्ट्रोमैकेनिकल सिस्टम, फायर अलार्म और रिमोट मॉनिटरिंग जैसे अत्याधुनिक फीचर्स मौजूद हैं.
दुबई का ट्रैफिक सेफ्टी मिशन साफ है-Zero Fatalities.मतलब, कोशिश यही है कि सड़क हादसों में किसी की भी जान न जाए. इसके लिए पैदल यात्रियों और साइकिल चालकों को सुरक्षित रास्ते, अलग ब्रिज और साइलेंट ज़ोन दिए जा रहे हैं. साइकिलिंग और ई-स्कूटर कल्चर को भी लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है.
स्मार्ट टेक्नोलॉजी से सड़कें सबसे स्मूद
दुबई की सड़कें दुनिया की सबसे स्मूद मानी जाती हैं. इसकी वजह है AI और लेजर टेक्नोलॉजी से रोड मेंटेनेंस. Khaleej Times की एक खबर के मुताबिक RTA खास Laser Crack Measurement System (LCMS) गाड़ियों का इस्तेमाल करता है, जिनमें कैमरे, लेजर और इंफ्रारेड सेंसर लगे होते हैं. ये गाड़ियाँ सड़क पर दरारें, गड्ढे और 14 तरह की खामियाँ पकड़ लेती हैं. दूसरी गाड़ी 12 लेजर और 4 कैमरों से सड़क की स्मूदनेस International Roughness Index (IRI) से मापती है. दुबई का IRI स्कोर 0.9 है, जो दुनिया में सबसे स्मूद सतहों में गिना जाता है.
सिर्फ सड़कें ही नहीं, सफाई भी नंबर वन
दुबई लगातार पाँचवीं बार Global Power City Index (GPCI) के अनुसार दुनिया का सबसे साफ शहर चुना गया है. 3,200 से ज्यादा क्लीनिंग इंजीनियर्स और सुपरवाइजर्स दिन-रात मेहनत करते हैं. शहर की 2,400 किमी लंबी सड़कें, 1,419 वर्ग किमी इन्वेस्टमेंट जोन और 33.4 किमी लंबे वाटर कैनाल और क्रीक्स नियमित रूप से साफ किए जाते हैं. यानी सड़कें सिर्फ स्मूद और सुरक्षित ही नहीं, बल्कि चमचमाती और कचरे से मुक्त भी रहती हैं.