डूंगरपुर: आजादी के अमृत काल में रत्नावाड़ा के ग्रामीण श्मशान घाट जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित, पक्के निर्माण की उठी मांग

डूंगरपुर: आजादी के अमृत काल में अंतिम संस्कार जैसी बुनियादी सुविधा से ही रत्नावाड़ा के ग्रामीण वंचित है. मामला जिले के दोवड़ा ब्लॉक के ग्राम पंचायत वस्सी के रत्नावाड़ा गांव का है जहां दिनांक 6 सितंबर को एक आदिवासी परिवार के बुजुर्ग व्यक्ति की मृत्यु होने पर आजादी के अमृत काल की पोल उस समय खुल गई जब मृतक के परिवार व ग्रामीणों के सामने अंतिम संस्कार के लिए बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई.
गांव में आजादी के इतने वर्षों बाद भी एक पक्का श्मशान घाट तक नहीं बना है. लगातार भारी बारिश होने के कारण जब मृतक का अंतिम संस्कार होना था तो परिवार के सामने विपदा खड़ी हो गयी. मृतक का परिवार हिन्दू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार की बात कर रहा था लेकिन गांव वालों के सामने समस्या थी कि बिना पक्के श्मशान घाट के लगातार हो रही भारी बारिश में अंतिम संस्कार कैसे किया जाए.
इस घटनाक्रम में पूरा दिन समस्त गांव व परिजन बारिश रुकने का इंतजार करते रहे फिर भी मेघराज रुके नहीं, इसके मध्य पार्थिव शरीर का समय भी ज्यादा हों गया था तो वहां उपस्थित ग्रामीण एवं सगे संबंधियों ने परिवार को मृतक का भूमि दाह के लिए समझाया क्योंकि इसके अलावा कुछ उपाय नहीं था फिर परिवार भी भारी मन से स्थिति को देखते हुए तैयार हुआ और मृतक का भूमि दाह संस्कार किया गया.
अब इस पूरे प्रकरण को लेकर वस्सी उपसरपंच महेन्द्र सिंह रत्नावाड़ा के ग्रामीणों के साथ बुधवार को जिला कलेक्टर एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी डूंगरपुर के सामने उपस्थित हुए और पूरी घटना की जानकारी दी तथा अतिशीघ्र पक्का श्मशान घाट बनाने की मांग रखी है ताकि भविष्य में ऐसी परिस्थिति का सामना नहीं करना पड़े.
इस अवसर पर पंचायत समिति सदस्य प्रवीण गमेती, सौभाग्यसिंह, वासुदेव कलासुआ, रामलालजी, देवीसिंह, रायसिंह, धूलजी अहारी, शंकर अहारी, तेजुभाई, देवीलाल, राजेंद्रसिंह, सुरेशसिंह, धुलजी कलासुआ, रामजी, कांजीभाई के साथ सभी ग्रामवासी उपस्थित रहे.
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