नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी अब सरकार के सामने सरेंडर करने और हथियार डालने राजी हो गई। CPI (माओवादी) ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा है कि उनकी पार्टी फिलहाल अस्थायी तौर पर हथियारबंद संघर्ष को रोकने और शांति वार्ता के लिए तैयार है। संगठन ने साफ किया है कि वे सरकार से गंभीर और ईमानदार पहल की उम्मीद कर रहे हैं।
पार्टी ने कहा कि उसने 2024 से चल रहे अभियान में पुलिस और सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ों का सामना किया है, जिसमें दोनों ओर से नुकसान हुआ है। इसी पृष्ठभूमि में पार्टी ने यह निर्णय लिया है कि एक महीने तक सरकार से संवाद की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाए और कैद माओवादी नेताओं को भी वार्ता में शामिल करने का अवसर दिया जाए।
नक्सली लीडर अभय का यह प्रेस नोट 15 अगस्त 2025 का है, जो अब वायरल हो रहा है। प्रेस नोट में कहा गया है कि अगर सरकार वास्तव में वार्ता चाहती है, तो वह जेल में बंद माओवादी साथियों से भी विचार-विमर्श की अनुमति दे और इस दौरान संगठन पर पुलिस दबाव न डाले।
छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा ने नक्सलियों के लेटर की जांच कराने की बात कही, उनके मुताबिक केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और सीएम साय इस पर फैसला लेंगे। इससे पहले बस्तर IG सुंदरराज पी ने दैनिक भास्कर से कहा कि फिलहाल नक्सलियों के इस पर्चे की जांच कर रहे हैं।
जब हम पूरी तरह से स्पष्ट हो जाएंगे, उसके बाद ही कुछ प्रतिक्रिया दी जाएगी। उन्होंने कहा कि पर्चे में जिस नक्सली की तस्वीर है वह नक्सली लीडर अभय है। IG सुंदरराज पी ने कहा कि यह फिर से स्पष्ट किया जाता है कि सीपीआई (माओवादी) के साथ किसी भी प्रकार की बातचीत या संवाद पर निर्णय के संबंध में सरकार फैसला लेगी।
वहीं इस पर दीपक बैज ने कहा कि नक्सल मामले में सरकार कन्फ्यूज है। गृहमंत्री का अलग बयान आ रहा है, मुख्यमंत्री का अलग बयान आ रहा है। सरकार पहले तय कर ले कहना क्या चाह रही है और करना क्या चाह रही है। नक्सलियों का पत्र आया है तो जांच होनी चाहिए। नक्सलवाद खत्म होने को लेकर कहा कि इस पर 26 मार्च 2026 के बाद ही बात करेंगे।
नक्सली लीडर अभय ने प्रेस नोट में लिखा है– हथियारबंद संघर्ष को अस्थाई रूप से विराम घोषित करने का निर्णय लिए हैं। हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि भविष्य में हम जन समस्याओं पर तमाम राजनीतिक पार्टियों एवं संघर्षरत संस्थाओं से जहां तक संभव हो कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष करेंगे। इस विषय पर केंद्र के गृह मंत्री और उनसे नियुक्ति व्यक्तियों प्रतिनिधि मंडल से वार्ता के लिए हम तैयार हैं।
लेकिन हमारे इस बदले हुए विचार से पार्टी को अवगत कराना पड़ेगा। यह हमारा दायित्व है। बाद में पार्टी के अंदर इस पर सहमति जताने वाले साथियों में से से एक प्रतिनिधिमंडल तैयार कर शांतिवार्ता में शिरकत करेंगे। वर्तमान में हमारे संपर्क में समिति कैडर और कुछ नेतृत्वकारी साथी संपूर्ण सहमति जता रहे हैं।
वीडियो कॉल के जरिए वार्ता का जिक्र
इसलिए केंद्र सरकार से हमारा अनुरोध है कि देशभर से अलग-अलग राज्यों में काम कर रहे और जेल में बंद साथियों से सलाह मशविरा करने के लिए हमें एक माह का समय दें। नक्सली लीडर ने कहा कि इस विषय पर प्राथमिक रूप से सरकार के साथ वीडियो कॉल के जरिए विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए भी हम तैयार हैं।
इसलिए और एक बार हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि फौरन एक माह के लिए सीजफायर करें। अभियान को रोकें।
24 अगस्त 2024: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद खत्म करने की बात कही थी। छत्तीसगढ़ के रायपुर में वामपंथी उग्रवाद पर समीक्षा के बाद उन्होंने कहा था कि अब समय आ गया है कि वामपंथी उग्रवाद की समस्या पर एक मजबूत रणनीति के साथ रुथलेस रणनीति के साथ अंतिम प्रहार किया जाए।
शाह के डेडलाइन जारी करने के बाद से बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन काफी तेज हो गए हैं।
लगातार बड़े नक्सली लीडर मारे जा रहे
- 11 सितंबर 2025 को गरियाबंद मुठभेड़ में 1.80 करोड़ के इनामी सेंट्रल कमेटी मेंबर बालाकृष्ण समेत 10 नक्सली मारे गए।
- इससे पहले 21 मई को हुई मुठभेड़ में 27 नक्सली मारे गए। इसमें 1.5 करोड़ का इनामी बसवा राजू भी था।
- 21 मई की मुठभेड़ से 7 दिन पहले पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कर्रेगुट्टा ऑपरेशन की भी जानकारी दी थी। इसमें 31 नक्सलियों को मार गिराया था।
- छत्तीसगढ़-तेलंगाना बॉर्डर स्थित कर्रेगुट्टा के पहाड़ों पर सुरक्षाबलों ने 24 दिनों तक ऑपरेशन चलाया था।
गरियाबंद में मारे गए 5 करोड़ के इनामी नक्सली
बीते 11 सितंबर 2025 को ही गरियाबंद जिले में जवानों ने एनकाउंटर में डेढ़ करोड़ के इनामी नक्सली मोडेम बालाकृष्ण समेत 10 नक्सली को मार गिराया था। सभी के शव हेलीकॉप्टर से गरियाबंद लाए गए। मोडेम बालाकृष्ण ओडिशा स्टेट कमेटी का सचिव था। मामला मैनपुर थाना क्षेत्र के मटाल पहाड़ी का है।
मिली जानकारी के मुताबिक मारे गए नक्सलियों में 6 पुरुष और 4 महिलाएं शामिल हैं। सेंट्रल कमेटी सदस्य मनोज उर्फ मोडेम बालाकृष्ण, ओडिशा स्टेट कमेटी सदस्य प्रमोद उर्फ पांडू, ओडिशा स्टेट कमेटी सदस्य विमल उर्फ मंगन्ना समीर, PPCM रजीता शामिल हैं।
इसके साथ ही टेक्निकल टीम PPCM अंजली, SDK ACM सीमा उर्फ भीमे, ACM विक्रम, डिप्टी कमांडर उमेश और बीबीएम डिवीजन PM बिमला शामिल हैं। इनपर छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश सरकार ने 5 करोड़ 22 लाख का इनाम घोषित किया था।
5 महीने पहले भी कही थी शांति वार्ता की बात
नक्सलियों के केंद्रीय समिति के प्रवक्ता अभय ने 5 महीने पहले भी एक पर्चा जारी किया था। अभय ने लिखा कि, पिछले 15 महीनों में उनके 400 साथी मारे गए हैं। अगर नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन रुकती है, तो हम शांति वार्ता के लिए तैयार हैं।
इस पर छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा था कि हमारी सरकार किसी भी प्रकार की सार्थक वार्ता के लिए तैयार है। बशर्ते इसके लिए कोई शर्त न हो। नक्सली वास्तव में मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं तो उन्हें वार्ता की शर्तों को सार्वजनिक रूप से स्पष्ट करना होगा।
शर्मा ने कहा था कि वार्ता का स्वरूप ISIS जैसी किसी कट्टरपंथी विचारधारा की तर्ज पर नहीं हो सकता। अगर कोई चर्चा करना चाहता है, तो उसे भारतीय संविधान की मान्यता स्वीकार करनी होगी। संविधान को नकारते हैं और समानांतर व्यवस्था थोपने की कोशिश करते हैं, तो वार्ता का कोई औचित्य नहीं रहता।