बिहार : माओवादी संगठन ने दिखाई शांति वार्ता की इच्छा, सरकार से सीजफायर पर विचार का आग्रह

जमुई : लंबे समय से सुरक्षा बलों और माओवादी संगठन के बीच चल रही मुठभेड़ों और हिंसक घटनाओं के बीच अब वार्ता की नई संभावना सामने आई है. माओवादी संगठन ने शांति वार्ता की दिशा में सकारात्मक रुख दिखाया है. संगठन के केंद्रीय प्रवक्ता अभय ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि पार्टी सरकार के साथ बातचीत के लिए तैयार है.

प्रवक्ता ने बताया कि उनकी पार्टी मार्च 2025 के अंतिम सप्ताह से ही सरकार के साथ संवाद की कोशिश कर रही है. संगठन के महासचिव ने 10 मई को जारी एक बयान में भी हथियार छोड़ने पर विचार-विमर्श के लिए एक महीने का समय मांगा था. साथ ही, सरकार के समक्ष सीजफायर का प्रस्ताव रखा गया था. हालांकि, केंद्र सरकार की ओर से उस वक्त कोई ठोस और सकारात्मक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई.

उन्होंने कहा कि जनवरी 2024 से सरकार ने नक्सल प्रभावित इलाकों में अभियान तेज कर दिया था. इसी क्रम में 21 मई को माड जिले के गुंडेकोट क्षेत्र में हुए भीषण मुठभेड़ में संगठन को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा. इस संघर्ष में संगठन के महासचिव बसवराजू समेत 28 माओवादी मारे गए थे. इस घटना के बाद संगठन की रणनीति में बदलाव आया है और अब शांति वार्ता को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया है.

प्रवक्ता अभय ने कहा कि बदले हुए वैश्विक और राष्ट्रीय परिस्थितियों को देखते हुए यह निर्णय महत्वपूर्ण है. उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की अपील के बाद संगठन अब मुख्यधारा में शामिल होने पर गंभीरता से विचार कर रहा है. उनका कहना था कि वार्ता का उद्देश्य हिंसा समाप्त करना और आम लोगों के जीवन में शांति और विकास सुनिश्चित करना होगा.हालांकि, प्रवक्ता ने यह भी स्पष्ट किया कि संगठन अपने साथियों की सुरक्षा और सम्मानजनक समाधान चाहता है. उनका कहना था कि केवल सैन्य अभियान से समस्या का समाधान संभव नहीं है, बल्कि इसके लिए राजनीतिक और संवैधानिक पहल की आवश्यकता है.

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार और माओवादी संगठन के बीच वार्ता आगे बढ़ती है तो यह नक्सल समस्या के स्थायी समाधान की दिशा में बड़ा कदम हो सकता है. वहीं, सुरक्षा एजेंसियां इसे सतर्कता और शर्तों के साथ ही आगे ले जाने की राय रखती हैं. अब निगाहें केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं कि वह संगठन के इस नए प्रस्ताव को किस रूप में लेती है. यदि शांति वार्ता शुरू होती है तो नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास और स्थायित्व का नया अध्याय खुल सकता है.

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