राजस्थान के सिरोही जिले के रेवदर ब्लॉक स्थित पेरवा सरकारी स्कूल में बड़ा विवाद खड़ा हो गया। ग्रामीणों और हिंदू संगठनों ने स्कूल प्रिंसिपल पेपसिंह मीणा पर गंभीर आरोप लगाए कि उन्होंने छात्रों को तिलक और मूर्ति पूजा करने से रोका और धार्मिक ग्रंथों को नकारात्मक रूप में प्रस्तुत किया। इस घटना के बाद गांव में माहौल गरमा गया और विरोध तेज हो गया।
ग्रामीणों का आरोप है कि प्रिंसिपल बच्चों से बार-बार कहते थे कि भगवान कुछ नहीं होते और पत्थरों की पूजा से कोई लाभ नहीं मिलेगा। बच्चों ने भी बताया कि पिछले दो महीनों से लगातार उन पर पूजा-पाठ से दूर रहने का दबाव बनाया जा रहा था। आरोप यह भी लगे कि कबड्डी प्रतियोगिता में हारने के बाद प्रिंसिपल ने छात्राओं के साथ अभद्र व्यवहार किया और खेलों में आवश्यक स्टाफ की व्यवस्था तक नहीं की।
ग्रामीणों के विरोध के बाद शिक्षा विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। मामले की गंभीरता देखते हुए मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी को रिपोर्ट भेजी गई। आदेश जारी कर प्रिंसिपल को तत्काल स्कूल से हटा दिया गया और जांच पूरी होने तक उन्हें सीबीईओ कार्यालय में रिपोर्टिंग करने को कहा गया। यह कदम इसलिए उठाया गया ताकि जांच निष्पक्ष तरीके से हो सके और किसी भी तरह का दबाव न बने।
दूसरी ओर, प्रिंसिपल पेपसिंह मीणा ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि वह स्वयं हिंदू हैं और न तो कभी बच्चों को तिलक से रोका और न ही पूजा करने से। उनका कहना है कि कबीर का पाठ समझाते समय उनकी बातों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है और यह पूरा विवाद राजनीति से प्रेरित है।
फिलहाल, मामला जांच के अधीन है और शिक्षा विभाग का कहना है कि दोषी पाए जाने पर आगे की सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस विवाद ने शिक्षा संस्थानों में धार्मिक स्वतंत्रता और अनुशासन के संतुलन को लेकर नई बहस छेड़ दी है।