सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पराली जलाने वाले किसानों को जेल भेजो, ताकि संदेश जाए

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण बढ़ाने वाले पराली जलाने के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा कि कुछ किसानों को जेल भेजा जाना चाहिए, ताकि बाकी किसानों को चेतावनी मिल सके और यह उपाय एक निवारक के रूप में काम करे। यह निर्देश मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने दिया।

एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने कोर्ट को बताया कि किसानों को पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए सब्सिडी और उपकरण उपलब्ध कराए गए, लेकिन अधिकांश किसान अभी भी पुराने बहानों पर अड़े हैं। उन्होंने कहा कि किसान अभी भी अपनी बेबसी का बहाना बनाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं।

सीजेआई गवई ने कहा कि किसानों का विशेष दर्जा है और हमें उनके कारण अन्न मिलता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे नियमों का उल्लंघन कर सकें। उन्होंने प्रशासन पर सवाल उठाया कि क्यों सरकारें इस मुद्दे पर सख्त दंडात्मक प्रावधान नहीं बना रही हैं। मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि कुछ किसानों को जेल भेजना संदेश देने के लिए जरूरी है, यह रूटीन कार्रवाई नहीं होगी।

पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा अक्टूबर-नवंबर में पराली जलाने की समस्या हर साल दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण को गंभीर रूप से प्रभावित करती है। पंजाब सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कोर्ट में कहा कि पराली जलाने के मामलों में कमी आई है और आने वाले वर्षों में यह और कम होगा।

किसानों का कहना है कि फसल अवशेष हटाने के लिए मजदूरों या मशीनों की मदद लेना उनके लिए महंगा पड़ता है, इसलिए वे पराली जलाने का विकल्प चुनते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पर्यावरण संरक्षण के लिए यह बहाना स्वीकार्य नहीं है।

कोर्ट ने राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे पराली जलाने के खिलाफ कड़े नियम बनाएं और सुनिश्चित करें कि किसानों को चेतावनी और सख्त कार्रवाई के माध्यम से संदेश मिले। यह कदम दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण को कम करने और किसानों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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