बाबा रामदेव ने कहा, अमेरिकी टैरिफ को देखें राष्ट्रीय चेतना का अवसर

योग गुरु बाबा रामदेव ने हाल ही में अमेरिका की ओर से भारत पर लगाए गए भारी टैरिफ शुल्क को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने इसे तीसरे विश्वयुद्ध की तरह बताते हुए कहा कि यह एक नए प्रकार का आर्थिक युद्ध है, जिसमें अमेरिका मुख्य भूमिका निभा रहा है। बाबा रामदेव ने कहा कि भारत को अब इस चुनौती का सामना करते हुए विदेशी उत्पादों का बहिष्कार करना चाहिए और स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना चाहिए।

बाबा रामदेव ने कहा कि भारतीय जनता को अमेरिका के कपड़े, जूते और अन्य विदेशी वस्तुओं के मोह से बाहर आना होगा और केवल स्वदेशी का उपयोग करना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि देशवासियों ने केवल एक महीने के लिए भी विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया और स्वदेशी अपनाया, तो परिस्थितियां तेजी से बदल सकती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार भले ही विदेशी उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून नहीं बना सके, लेकिन एक सामाजिक आंदोलन के रूप में इसका बहिष्कार अवश्य किया जा सकता है।

योग गुरु ने कहा कि जब करोड़ों घरों में यह संदेश फैल जाएगा कि यह घर स्वदेशी है और यहां विदेशी उत्पाद नहीं आते, तो धीरे-धीरे यह विचार देशभर में फैल जाएगा और राष्ट्रीय चेतना का रूप ले लेगा। उनका मानना है कि यह केवल आर्थिक निर्णय नहीं, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलन भी बनेगा।

बाबा रामदेव ने देशवासियों से अपील की कि भारत को एकजुट होकर इस आर्थिक चुनौती का सामना करना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वदेशी वस्तुओं को अपनाकर हम आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा सकते हैं और देश को आर्थिक दृष्टि से मजबूत बना सकते हैं।

साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके जन्मदिन पर बधाई देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत न केवल आत्मनिर्भर बन रहा है, बल्कि विश्व नेतृत्व के लिए भी तैयार हो रहा है। बाबा रामदेव ने कहा कि हमें उनके विचारों, मार्गदर्शन और राष्ट्रीय पुनर्निर्माण की इस यात्रा को निरंतर आगे बढ़ाना चाहिए।

उन्होंने देशवासियों से यह संकल्प लेने की भी अपील की कि स्वदेशी अपनाने और विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार को जीवन का हिस्सा बनाया जाए। उनका मानना है कि केवल व्यक्तिगत स्तर पर यह परिवर्तन ही नहीं, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी यह आंदोलन भारत को आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से मजबूत बनाएगा। बाबा रामदेव का यह संदेश राष्ट्रीय एकता, आत्मनिर्भरता और स्वदेशी को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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