छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाला मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल ED (प्रवर्तन निदेशालय) की गिरफ्त में हैं। अब EOW (आर्थिक अपराध शाखा) भी उन्हें रिमांड में लेने की तैयारी कर रही है।
15 सितंबर को ED ने 7 हजार से ज्यादा पन्नों का पांचवां पूरक आरोप पत्र (चार्जशीट) कोर्ट में दाखिल किया। जिसमें चैतन्य बघेल ने 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम को हैंडल किया, इस बात की पुष्टि हुई है।
वहीं, आरोप पत्र में ये भी खुलासा हुआ है कि इन पैसों की डील के लिए वॉट्सऐप में बिग बॉस ग्रुप बनाया गया था। वॉट्सऐप में बिट्टू (चैतन्य बघेल) ने कब किसे कॉल किया, कितनी देर बात की। सिंडिकेट से जुड़े अन्य लोग कैसे पैसे की डील करते थे, आरोप पत्र में इसका स्क्रीनशॉट भी लगाया गया था। इसमें एक आईएएस अफसर के हनी ट्रैप का भी जिक्र है।
मोबाइल चैट्स से खुलासा
ED ने जब अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और सौम्या चौरसिया के मोबाइल की जांच की तो चौंकाने वाले चैट्स मिले। अनवर के मोबाइल में चैतन्य का नंबर ‘बिट्टू’ नाम से सेव था। इसमें पैसों की डीलिंग और नकली होलोग्राम बनाने तक की चर्चा पाई गई।
ED के पेश किए आरोप पत्र में क्या था
चार्जशीट के मुताबिक, चैतन्य बघेल ही इस पूरे सिंडिकेट का मास्टरमाइंड था। इसमें से करीब 200 करोड़ रुपए की सीधी कमाई खुद की, जबकि 850 करोड़ रुपए कांग्रेस के तत्कालीन कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल तक पहुंचाए गए।
इस आरोप पत्र ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। ED का दावा है कि चैतन्य ने ब्लैक मनी को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में निवेश कर उसे सफेद दिखाने का काम किया। पैसे की पूरी डील वॉट्सऐप ग्रुप में होती थी।
‘बिग बॉस’ ग्रुप से चलता था पूरा सिंडिकेट
आरोप पत्र में बताया गया है कि इस घोटाले के संचालन के लिए ‘बिग बॉस’ नाम का एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया गया था। इसमें चैतन्य बघेल, अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा, सौम्या चौरसिया और पुष्पक जैसे अहम लोग जुड़े थे।
इस ग्रुप के जरिए करोड़ों रुपए की हेराफेरी और मनी लॉन्ड्रिंग की जानकारी और निर्देश साझा किए जाते थे। इसके साथ ही पैसे आने और उसको किसको देना है? इसकी चर्चा भी ग्रुप में होती थी। वॉट्सऐप ग्रुप में चैट के कुछ स्क्रीनशॉट भी दैनिक भास्कर डिजिटल के पास मौजूद है।
पप्पू बंसल ने खोला राज
दुर्ग-भिलाई के शराब कारोबारी और भूपेश बघेल के करीबी माने जाने वाले लक्ष्मी नारायण उर्फ पप्पू बंसल ने पूछताछ में बड़ा खुलासा किया। उन्होंने माना कि उन्होंने और चैतन्य ने मिलकर 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा कैश को मैनेज किया।
बंसल ने बताया कि यह रकम अनवर ढेबर से दीपेन चावड़ा और फिर कांग्रेस नेताओं रामगोपाल अग्रवाल, केके श्रीवास्तव तक पहुंचाई जाती थी। बंसल ने यह भी स्वीकार किया कि तीन महीने की अवधि में ही उन्हें 136 करोड़ रुपए मिले।
रियल एस्टेट में लगाया ब्लैक मनी
ED ने आरोप लगाया कि चैतन्य ने अपने विठ्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट और बघेल डेवलपर्स एंड एसोसिएट्स में शराब घोटाले की रकम निवेश की। असल खर्च 13-15 करोड़ रुपए था, लेकिन दस्तावेजों में मात्र 7.14 करोड़ दिखाया गया।
वहीं डिजिटल डिवाइस की जांच से पता चला कि एक ठेकेदार को 4.2 करोड़ रुपए कैश में भुगतान किया गया, जिसका हिसाब रिकॉर्ड में नहीं था। इसी प्रोजेक्ट में त्रिलोक सिंह ढिल्लों ने 19 फ्लैट खरीदे, लेकिन भुगतान खुद किया। ED के मुताबिक यह सब ब्लैक मनी को सफेद दिखाने के लिए किया गया।
भिलाई के बड़े ज्वेलर्स का नाम भी सामने आया
जांच में भिलाई के बड़े ज्वेलर्स का नाम भी सामने आया। ED ने दावा किया कि ज्वेलर्स ने चैतन्य की कंपनियों को 5 करोड़ रुपए का नकद लोन दिया और बाद में सिर्फ 80 लाख रुपए की कीमत पर 6 प्लॉट खरीद लिए।
एजेंसी ने इसे कैश को सफेद करने की साजिश बताया। ED ने साक्ष्य के रूप में आरोपियों से मिले चैट्स का इस्तेमाल किया है।