छत्तीसगढ़ के चर्चित नान घोटाला मामले में रिटायर्ड आईएएस अफसर आलोक शुक्ला रायपुर की विशेष अदालत में सरेंडर करने पहुंचे। हालांकि अदालत ने उनका सरेंडर लेने से इनकार कर दिया। कोर्ट का कहना था कि जब तक सुप्रीम कोर्ट का आदेश उपलब्ध नहीं हो जाता, तब तक सरेंडर की प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकती।
दरअसल, आलोक शुक्ला लंबे समय से नान घोटाले में आरोपी के रूप में चर्चाओं में रहे हैं। उन पर भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप हैं। ईडी इस मामले की जांच कर रही है और कोर्ट के आदेश पर शुक्ला को पेश होना था। शुक्रवार को जब वे अदालत पहुंचे तो वहां बड़ी संख्या में मीडिया और वकील मौजूद थे।
अदालत ने साफ कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश अभी अपलोड नहीं हुआ है, इसलिए तकनीकी रूप से सरेंडर स्वीकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि आदेश आने के बाद ही अगली कार्रवाई होगी। इसके बाद आलोक शुक्ला को लौटना पड़ा।
नान घोटाला छत्तीसगढ़ की राजनीति और नौकरशाही का बड़ा मुद्दा रहा है। इसमें कई अधिकारी और बड़े नाम जांच के दायरे में आए हैं। आरोप है कि नान यानी नागरिक आपूर्ति निगम में चावल और खाद्यान्न खरीद-बिक्री के दौरान भारी गड़बड़ी की गई। करोड़ों रुपये के घोटाले की आंच राज्य सरकार तक भी पहुंची थी।
आलोक शुक्ला के सरेंडर करने की कोशिश और कोर्ट से वापस लौटने की घटना ने इस मामले को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है। राजनीतिक हलकों में भी इसे लेकर चर्चा तेज हो गई है। विपक्ष का कहना है कि सरकार और प्रशासन इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि सरकार का दावा है कि कानून अपना काम कर रहा है।
अब सबकी नजर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर है। आदेश अपलोड होने के बाद यह तय होगा कि आलोक शुक्ला को किस तरह की राहत मिलती है या उन्हें न्यायिक हिरासत का सामना करना पड़ेगा। फिलहाल यह मामला छत्तीसगढ़ की राजनीति और प्रशासनिक हलकों में गरमा गया है।