छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाले में आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए रिटायर्ड आईएएस अधिकारी निरंजन दास को गिरफ्तार कर लिया है। दास कांग्रेस सरकार के दौरान आबकारी आयुक्त रहे और उन पर घोटाले के संचालन में अहम भूमिका निभाने का आरोप है। जांच एजेंसी का कहना है कि उन्होंने अन्य अधिकारियों और कारोबारी अनवर ढेबर के साथ मिलकर एक ऐसा सिंडिकेट तैयार किया जिसने राज्य को हजारों करोड़ का नुकसान पहुंचाया।
जांच में सामने आया है कि इस सिंडिकेट ने सरकारी शराब दुकानों से लेकर डिस्टलरी तक अवैध गतिविधियां चलाईं। डुप्लीकेट होलोग्राम बनाकर शराब को वैध बताकर बेचा गया, विदेशी ब्रांड की अवैध सप्लाई कराई गई और कमीशन के बदले शराब दुकानों की दरें तय की गईं। सिर्फ होलोग्राम घोटाले से ही राज्य को करीब 1200 करोड़ का घाटा हुआ।
चार्जशीट में यह भी दर्ज है कि दास ने टेंडर प्रक्रिया में भी गड़बड़ी कराई। नोएडा की एक कंपनी को नियमों के विपरीत फायदा पहुंचाया गया। इसके अलावा, झारखंड की आबकारी नीति बदलवाने की साजिश भी इसी सिंडिकेट ने रची थी ताकि छत्तीसगढ़ मॉडल वहां भी लागू हो सके।
रिटायरमेंट के बाद फरवरी 2023 में निरंजन दास को संविदा पर फिर से आबकारी आयुक्त बनाया गया था। उनकी अग्रिम जमानत याचिकाएं कई बार खारिज हो चुकी हैं। अब EOW उन्हें रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे हो सकते हैं।
गौरतलब है कि ईडी पहले से ही इस मामले की जांच कर रही है और दर्ज एफआईआर में 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात सामने आ चुकी है। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि फरवरी 2019 में कारोबारी अनवर ढेबर ने डिस्टलरी संचालकों के साथ मिलकर सिंडिकेट की नींव रखी थी। इस दौरान तय हुआ कि शराब की हर पेटी पर कमीशन लिया जाएगा और रिकॉर्ड सरकारी दस्तावेजों में दर्ज नहीं होगा।
तीन साल में करीब 60 लाख पेटियां शराब अवैध रूप से बेची गईं। पूर्व मंत्री कवासी लखमा और कारोबारी अनवर ढेबर पहले ही इस मामले में जेल में बंद हैं। निरंजन दास की गिरफ्तारी से इस घोटाले के और गहरे राज खुलने की संभावना है।