पेंशन कोई उपहार नहीं है…सौतेली मां को लेकर केंद्र सरकार ने दिया जवाब, क्या बोले सुप्रीम कोर्ट के जज?

केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सौतेली मां की दायर याचिका अपना पक्ष रखा है. सरकार ने कहा कि पेंशन कोई उपहार नहीं है.भारतीय वायुसेना के नियमों के तहत सौतेली मां को पारिवारिक पेंशन के लिए पात्र नहीं माना जा सकता, क्योंकि वह कानून और रिश्ते दोनों ही नजरिये से असली मां से अलग है।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ के सामने केंद्र सरकार ने भरण-पोषण और अन्य कल्याणकारी लाभों से संबंधित शीर्ष अदालत के विभिन्न फैसलों का हवाला दिया है जिनमें कहा गया था कि मां शब्द का तात्पर्य केवल प्राकृतिक या जैविक मां से है, सौतेली मां से नहीं। इसी वजह से सौतेली मां को पेंशन नहीं दी जा सकती है.

विशेष पारिवारिक पेंशन देने से इनकार

केंद्र सरकार ने कहा, पेंशन हालांकि कोई उपहार नहीं है और इस पर अधिकार के रूप में दावा किया जा सकता है, लेकिन यह कानून का एक स्थापित सिद्धांत है कि ऐसा अधिकार न तो पूर्ण है और न ही निरपवाद। पेंशन लाभ चाहने वाले व्यक्ति को लागू वैधानिक प्रावधानों या विनियमों के तहत स्पष्ट अधिकार स्थापित करना होगा। केंद्र का यह रुख सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर आया है जिसमें जयश्री वाई जोगी को विशेष पारिवारिक पेंशन देने से इनकार कर दिया गया था।

6 साल की उम्र से किया था पालन-पोषण

बताया जाता है कि जोगी ने 6 साल की उम्र से पालन-पोषण किया था. जोगी ने बताया कि उसकी जैविक मां के निधन के बाद बच्चे पिता ने उससे शादी की थी. उन्होंने एएफटी के 10 दिसंबर, 2021 के आदेश को इस आधार पर चुनौती दी कि वह एक सौतेली मां थी, इसलिए वह जैविक मां को मिलने वाली विशेष पारिवारिक पेंशन के लाभ की पात्र नहीं थी।

अब 20 नवंबर को होगी अगली सुनवाई

जयश्री वाई जोगी ने वकील सिद्धार्थ सांगल के जरिए दायर याचिका में बताया कि उनका बेटा एयरफोर्स में था और 28 अप्रैल, 2008 को रहस्यमय परिस्थितियों में एयरफोर्स मेस में खाना खाते समय उसकी मौत हो गई। मां का कहना है कि उसकी मौत का अभी तक पता नहीं चला है. उधर एयरफोर्स का दावा है कि उसने आत्महत्या कर ली थी. कोर्ट ने अब इस मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर 2025 को होगी.

Advertisements
Advertisement