सूरजपुर: प्रतापपुर जनपद पंचायत इन दिनों राजनीतिक खींचतान और प्रशासनिक घमासान का केंद्र बना हुआ है. पिछले एक महीने से यहां दो जनपद सीईओ के बीच कार्यभार को लेकर पेंच फंसा हुआ था. इस विवाद ने धीरे-धीरे सरपंचों और जनप्रतिनिधियों को भी दो गुटों में बांट दिया. हालात तब और गरमा गए जब दो दिन पूर्व जनपद पंचायत प्रतापपुर परिसर में सरपंच संघ एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने धरना-प्रदर्शन कर सीईओ जयगोविंद गुप्ता के पक्ष में कार्यभार सौंपने की मांग की.
धरना प्रदर्शन और घेराव की इस कार्रवाई से शासन-प्रशासन में हड़कंप मच गया. मामले के प्रकाशन और बढ़ते जनदबाव के बाद राज्य शासन ने देर रात ही बड़ा प्रशासनिक फैसला लेते हुए जनपद सीईओ जयगोविंद गुप्ता का प्रतापपुर से तबादला कर उन्हें जनपद पंचायत सीतापुर का प्रभार सौंप दिया. वहीं, पूर्व से प्रभारी के रूप में पदस्थ डॉ. नृपेंद्र सिंह को प्रतापपुर जनपद पंचायत का सीईओ यथावत कर दिया गया है.
इस फेरबदल ने प्रतापपुर की सियासत को और अधिक गरमा दिया है. एक ओर जयगोविंद गुप्ता के समर्थन में खड़े सरपंचों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि शासन ने उनकी भावनाओं को दरकिनार किया है. वहीं दूसरी ओर डॉ. नृपेंद्र सिंह के समर्थक इस फैसले को सही ठहरा रहे हैं. दोनों पक्षों में गुटबाजी स्पष्ट दिखाई देने लगी है.
ज्ञात हो कि पूर्व में भी सरपंच संघ कई बार डॉ. नृपेंद्र सिंह को हटाने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंप चुका है और प्रदर्शन कर चुका है. लेकिन शासन की ओर से उनकी मांगों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया था. अब अचानक हुए इस आदेश ने एक बार फिर जनपद पंचायत के माहौल को उथल-पुथल कर दिया है.
प्रतापपुर में इस समय राजनीतिक पारा अपने चरम पर है. कभी इधर से तो कभी उधर से धरना-प्रदर्शन और बयानबाजी का दौर चल रहा है. रातों-रात सीईओ बदलने के फैसले को लेकर सत्ता और विपक्ष दोनों खेमों में चर्चा तेज है. प्रशासनिक फेरबदल को लेकर गांव-गांव तक राजनीतिक बहस पहुंच चुकी है.
फिलहाल, जनपद पंचायत प्रतापपुर में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह राजनीतिक तूफान आगे और कितनी गहराई पकड़ता है तथा आने वाले समय में इसका असर पंचायत कार्यों और स्थानीय विकास पर किस रूप में सामने आता है.