छत्तीसगढ़ में हाल ही में 16 सितंबर को अलग-अलग तीन हादसों में 17 गायों की मौत हो गई, जिसमें एक गर्भवती गाय का पेट फटकर बछड़ा बाहर आ गया। इस घटना ने राज्य में पशु संरक्षण और देखरेख की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सरकार को कड़ी फटकार लगाई है और कहा कि 2 हजार गायों को हटाने के सरकारी दावे केवल दिखावा हैं, वास्तविक सुधार नहीं दिख रहा।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार द्वारा बनाए गए योजनाओं और योजनाओं के क्रियान्वयन में गंभीर कमी है। अदालत ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वह तत्काल सुधारात्मक कदम उठाएं और गायों के संरक्षण तथा उनकी सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम सुनिश्चित करें। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि भविष्य में ऐसी घटनाएं फिर होती हैं, तो इसके लिए संबंधित अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा।
स्थानीय प्रशासन ने मृत गायों के परिवारों और गांवों में हुए नुकसान का आंकलन किया। अधिकारियों ने कहा कि मृत गायों की संख्या और हादसों के कारण गंभीर चिंता पैदा हुई है, इसलिए तत्काल कार्रवाई करना आवश्यक है। इसके साथ ही, गायों की देखभाल और उनके लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने के लिए निगरानी बढ़ाने पर जोर दिया गया।
पशु प्रेमी और नागरिक समाज ने भी सरकार से मांग की है कि वह स्थायी सुधार लाए और पशुओं की सुरक्षा में लापरवाही नहीं होने पाए। गांव और ग्रामीण इलाकों में पशुओं की देखभाल को लेकर प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने की जरूरत है।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि केवल योजनाओं का घोषणात्मक होना पर्याप्त नहीं है, बल्कि उनकी वास्तविक कार्यान्वयन और प्रभावी निगरानी जरूरी है। प्रशासन को सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं रोकने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएं।
इस घटना ने पूरे छत्तीसगढ़ में पशु सुरक्षा और प्रशासनिक जवाबदेही की जरूरत को उजागर किया है। अदालत ने स्पष्ट संदेश दिया कि कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए गंभीरता जरूरी है और सरकारी तंत्र को इसके प्रति सतर्क रहना होगा।