बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने साफ कहा है कि तेजस्वी यादव के अलावा महागठबंधन के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि जनता में तेजस्वी की लोकप्रियता और संगठन पर उनकी पकड़ उन्हें स्वाभाविक दावेदार बनाती है।
अखिलेश प्रसाद सिंह ने बयान दिया कि कांग्रेस पार्टी बिहार में गठबंधन धर्म निभाएगी और जो भी फैसला लिया जाएगा, उसमें सभी दलों की सहमति होगी। लेकिन उन्होंने खुलकर यह स्वीकार किया कि जमीनी स्तर पर तेजस्वी यादव ही ऐसे नेता हैं, जिन पर कार्यकर्ता और मतदाता भरोसा कर रहे हैं।
कांग्रेस सांसद का यह बयान ऐसे समय में आया है जब महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे और नेतृत्व को लेकर खींचतान की चर्चा तेज है। जेडीयू और कांग्रेस के कुछ नेताओं ने पहले संकेत दिया था कि मुख्यमंत्री का चेहरा तय करने में अभी वक्त लगेगा। लेकिन अखिलेश प्रसाद सिंह की टिप्पणी ने यह संदेश दिया है कि महागठबंधन में तेजस्वी यादव की दावेदारी मजबूत होती जा रही है।
तेजस्वी यादव पहले से ही खुद को गठबंधन का चेहरा मानकर चुनावी अभियान की तैयारी में जुटे हैं। वह लगातार राज्य सरकार और भाजपा पर हमलावर रुख अपनाए हुए हैं। वहीं, कांग्रेस का यह रुख उनके लिए बड़ा राजनीतिक सहारा साबित हो सकता है।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि कांग्रेस सांसद का यह बयान महागठबंधन में शक्ति संतुलन को दर्शाता है। आरजेडी, जो गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी है, अपने नेता को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाना चाहती है और कांग्रेस का समर्थन इसे और मजबूती देगा।
हालांकि, विपक्ष का कहना है कि महागठबंधन की राजनीति सिर्फ परिवारवाद और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं पर टिकी है। भाजपा और जेडीयू नेता लगातार यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या बिहार का भविष्य केवल एक परिवार के हाथों में सौंपा जा सकता है।
अब देखना होगा कि महागठबंधन आधिकारिक रूप से तेजस्वी यादव के नाम का ऐलान कब करता है। लेकिन कांग्रेस सांसद के बयान से यह लगभग साफ हो गया है कि महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के लिए तेजस्वी ही सबसे आगे हैं।