‘परिवारों के लिए मुश्किल…’, ट्रंप के H-1B वीजा फीस बढ़ाने पर भारत की प्रतिक्रिया

अमेरिका द्वारा H-1B वीजा के आवेदन शुल्क में भारी वृद्धि करने के फैसले पर भारत ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए आदेश के तहत अब H-1B वीजा की सालाना फीस 1 लाख डॉलर होगी, जो अमेरिका की कड़ी इमिग्रेशन नीति का हिस्सा माना जा रहा है। भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस कदम को ‘मानवीय दृष्टिकोण से चुनौतीपूर्ण’ बताया और कहा कि इससे प्रभावित परिवारों की जिंदगी पर गंभीर असर पड़ सकता है।

विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत और अमेरिका दोनों ही इनोवेशन और रचनात्मकता के साझेदार हैं। इस वजह से उम्मीद की जा रही है कि दोनों देश इस मसले पर आगे चर्चा करेंगे और समाधान निकालेंगे। मंत्रालय ने यह भी कहा कि कुशल पेशेवरों का अमेरिका में काम करना तकनीकी विकास, आर्थिक वृद्धि और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने में अहम योगदान देता है।

विशेषज्ञों के अनुसार यह नई फीस H-1B वीजा प्रोग्राम को लगभग खत्म कर देने जैसी है। नई फीस न केवल नए वीजा धारकों के लिए भारी है, बल्कि मौजूदा वीजा धारकों की 80 प्रतिशत औसत आय के बराबर है। भारत के नागरिक इस प्रोग्राम का सबसे बड़ा हिस्सा हैं, क्योंकि H-1B वीजा धारकों में 71 प्रतिशत भारतीय पेशेवर शामिल हैं। वर्तमान में करीब 3 लाख भारतीय पेशेवर अमेरिका में H-1B वीजा के तहत काम कर रहे हैं, जिनमें अधिकांश आईटी और टेक्नोलॉजी सेक्टर से जुड़े हैं।

विदेश मंत्रालय ने इस फैसले के संभावित असर का अध्ययन शुरू कर दिया है और भारतीय उद्योग जगत के साथ मिलकर प्रारंभिक विश्लेषण पेश किया है। मंत्रालय का मानना है कि इस कदम से पेशेवरों और उनके परिवारों के लिए कई कठिनाइयाँ उत्पन्न हो सकती हैं। उन्होंने इस फैसले को लेकर अमेरिकी पक्ष से संवाद और सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया है।

H-1B वीजा पर यह बदलाव न केवल तकनीकी क्षेत्र के पेशेवरों के लिए चुनौतीपूर्ण है, बल्कि उनके परिवारों के जीवन पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह नीति लागू होती है, तो भारतीय आईटी उद्योग और अमेरिकी कंपनियों दोनों के लिए ही दीर्घकालिक असर देखने को मिल सकता है।

भारत ने उम्मीद जताई है कि दोनों देश मिलकर इस मसले पर बातचीत करेंगे और सभी पक्षों के हित को ध्यान में रखते हुए समाधान निकालेंगे।

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