छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल मैनपाट में देश का पहला ग्रामीण गार्बेज कैफे शुरू किया गया है। यह पहल पर्यावरण और स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए की गई है। इस कैफे में स्थानीय लोग प्लास्टिक और अन्य कचरे को जमा करके नाश्ता और भोजन प्राप्त कर सकते हैं। कैफे के माध्यम से न केवल मैनपाट को स्वच्छ रखने में मदद मिलेगी, बल्कि कचरे के उचित निपटान और पुनर्चक्रण की प्रक्रिया को भी बढ़ावा मिलेगा।
कैफे का उद्देश्य ग्रामीण युवाओं और पर्यटकों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना है। कैफे में जमा किए गए प्लास्टिक कचरे को प्रोसेस किया जाएगा और उसे उपयोगी वस्तुओं में बदला जाएगा। इससे कचरा केवल नष्ट नहीं होगा बल्कि उसका पुनः उपयोग संभव होगा। स्थानीय प्रशासन ने इस पहल को विशेष महत्व देते हुए बताया कि यह कदम पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम प्रयास है।
स्थानीय लोग और पर्यटक इस पहल में उत्साह दिखा रहे हैं। प्लास्टिक और अन्य कचरे को जमा करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को कैफे में मुफ्त भोजन और नाश्ता दिया जाएगा। इससे लोगों में स्वच्छता के प्रति जिम्मेदारी का भाव जागृत होगा और ग्रामीण क्षेत्रों में कचरे का प्रबंधन प्रभावी तरीके से होगा।
कैफे के संचालक ने बताया कि यह एक अनोखी पहल है, जो देश में कहीं और नहीं देखी गई। उन्होंने कहा कि ग्रामीण गार्बेज कैफे मॉडल को अन्य पर्यटन स्थलों और ग्रामीण इलाकों में भी अपनाने की योजना है। स्थानीय प्रशासन के सहयोग से इस कैफे में आने वाले लोगों को कचरे को सही तरीके से जमा करने और पर्यावरण के प्रति जागरूक रहने की शिक्षा भी दी जाएगी।
यह पहल मैनपाट के पर्यटन स्थल को और अधिक आकर्षक बनाएगी और पर्यटकों के लिए स्वच्छता और सामाजिक जिम्मेदारी का संदेश भी फैलाएगी। ग्रामीण गार्बेज कैफे के माध्यम से मैनपाट में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में नया अध्याय शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है।
इस परियोजना के तहत भविष्य में और भी पर्यावरण-संबंधी गतिविधियां आयोजित की जाएंगी, ताकि स्थानीय समुदाय और पर्यटक दोनों ही स्वच्छ और सतत जीवनशैली की ओर प्रेरित हों। इस प्रकार मैनपाट न केवल पर्यटन स्थल के रूप में बल्कि पर्यावरण जागरूकता के केंद्र के रूप में भी उभरकर सामने आएगा।