जाति सर्वेक्षण से क्रिश्चियन सब-कास्ट कॉलम हटाने पर बढ़ा विवाद, CM सिद्धारमैया ने दी सफाई

कर्नाटक में जारी जाति सर्वेक्षण को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। आरोप लगाया जा रहा है कि सर्वेक्षण में क्रिश्चियन समुदाय की सब-कास्ट दर्शाने वाला कॉलम हटा दिया गया है। इस मुद्दे ने राजनीतिक और धार्मिक हलकों में बहस को तेज कर दिया है। पंचमसाली जगद्गुरु वचनानंद स्वामीजी सहित कई समुदायों ने सरकार से सवाल किए हैं कि आखिर यह बदलाव क्यों किया गया।

इस विवाद के बीच मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सफाई दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार की ओर से किसी भी समुदाय के साथ भेदभाव नहीं किया गया है। उनके अनुसार, जाति सर्वेक्षण का उद्देश्य राज्य की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को समझना है और इसमें किसी भी धर्म या जाति को अलग-थलग करने की मंशा नहीं है। उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण में जो तकनीकी त्रुटियां हुई हैं, उन्हें सुधारा जाएगा।

CM ने यह भी कहा कि विपक्ष इस मुद्दे को बेवजह तूल दे रहा है। उनका कहना है कि सरकार पारदर्शी तरीके से सर्वेक्षण करवा रही है और सभी समुदायों को इसमें बराबरी से शामिल किया जाएगा। सिद्धारमैया ने भरोसा दिलाया कि रिपोर्ट आने के बाद सभी वर्गों के हक और हितों की रक्षा की जाएगी।

इस बीच, विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि यह कदम अल्पसंख्यकों को किनारे करने की साजिश है। बीजेपी नेताओं ने सवाल उठाया कि जब बाकी समुदायों की सब-कास्ट शामिल की जा सकती हैं तो क्रिश्चियन समुदाय की क्यों नहीं। वहीं, कांग्रेस सरकार का कहना है कि यह सर्वेक्षण समाज में न्याय और समानता सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है।

अब देखना होगा कि सरकार आगे क्या कदम उठाती है। जाति सर्वेक्षण की रिपोर्ट को लेकर लोगों में उत्सुकता बनी हुई है, लेकिन इस विवाद ने राजनीति में गरमाहट जरूर पैदा कर दी है। सभी की नजरें इस पर हैं कि सरकार इस मामले में संतुलन कैसे बनाएगी और क्या वास्तव में क्रिश्चियन सब-कास्ट को फिर से सर्वेक्षण में शामिल किया जाएगा।

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